इंडिया ग्लोबल वीक 2020 के उद्घाटन भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज दुनिया को 'आत्मनिर्भर भारत' का मतलब समझाया। पीएम मोदी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत का मतलब स्वयं तक सीमित होना या दुनिया के लिए बंद हो जाना नहीं है। इसका मतलब 'सेल्फ सस्टेनिंग' और 'सेल्फ जेनरेर्टिंग' होना है। बता दें कि ब्रिटेन में आज से इंडिया ग्लोबल वीक 2020 शुरू हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस प्रोग्राम का उद्घाटन वीडियो लिंक से किया। इंडिया ग्लोबल वीक तीन दिन चलेगा।
इस मौके पर उन्होंने कहा- इतिहास बताता है कि भारत हर चुनौती से जीतता आया है। उसका पूरी तरह सामना करता है। हम एक तरफ तो कोरोना से जंग लड़ रहे हैं तो दूसरी तरफ अर्थव्यवस्था को भी संभालने में भी कामयाब रहे। मोदी ने कई और मुद्दों का भी जिक्र किया। ब्रिटिश रॉयल फैमिली के प्रिंस चार्ल्स भी इस समिट में शामिल होंगे। इसके अलावा विदेश मंत्री डोमिनिक रॉब, होम मिनिस्टर प्रीति पटेल, हेल्थ मिनिस्टर मैट हेनकॉक और ट्रेड मिनिस्टर लिज ट्रूस भी समिट में हिस्सा लेंगे।
ग्लोबल कंपनियों से अपील
मोदी ने आगे कहा, “हम ग्लोबल कंपनियों से अपील करते हैं कि वो भारत में निवेश के लिए आगे आएं। यहां प्रतिभा और अवसरों का खजाना है। एग्रीकल्चर सेक्टर में इन्वेस्टमेंट की काफी संभावनाएं हैं। एमएसएमई में संभावनाएं हैं। डिफेंस और स्पेस सेक्टर में भी हमने रिफॉर्म किए हैं। इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। टेक्नोलॉजी के मामले में भारत बेहद ताकतवर है।”
दवा इंडस्ट्री की तारीफ
पीएम मोदी ने कहा कि महामारी ने एक बार फिर दिखाया है कि भारत की दवा इंडस्ट्री सिर्फ भारत के लिए ही संपदा नहीं है बल्कि पूरी दुनिया के लिए भी है। भारत ने दवाईयों की लागत कम करने में अग्रणी भूमिका निभाई है, खासतौर से विकासशील देशों के लिए। आज हमारी कंपनियां कोविड-19 की दवाई बनाने और उसका उत्पादन करने के अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों में सक्रिय हैं। मुझे यकीन है कि भारत दवाई बनाने में और बन जाने के बाद उसका उत्पादन बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
भारत टैलेंट का पावरहाउस
मोदी ने अपने भाषण में कहा, “भारत टैलेंट का पावरहाउस है। वो दुनिया के विकास और भलाई में योगदान देता आया है और देना चाहता है। हमारा देश आगे बढ़ना चाहता है। भारतीय नैचुरल रिफॉर्मर हैं। हम हर चुनौती का मुकाबला करते हैं। फिर चाहे वो सोशल हो या इकोनॉमिक। आज हम महामारी के खिलाफ पूरी ताकत से जंग लड़ रहे हैं। लेकिन, हम ये भी चाहते हैं कि विकास और पर्यावरण की रक्षा एकसाथ हो।”