17 सितंबर को ऐसे व्यक्ति का जन्मदिन जो भारतीय शासन इतिहास में सबसे लंबे समय तक निर्वाचित प्रमुख रहा हो अगर सीएम, पीएम के कार्यकाल को मिला दें तो। देश और दुनिया में पीएम नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और उनकी ऐतिहासिक स्वर्णिम सफलता जगजाहिर है,बावजूद इसके सत्ता का अहंकार, कटुता, नकारात्मकता उनके व्यक्तित्व को छूकर भी नहीं गया है। पीएम मोदी से जब-जब मिलने का अवसर मिला, उनके व्यक्तित्व की सहजता हैरान कर देती है। वो सामने वाले को ईजी कर देने में 70 सेकेंड का समय भी नहीं लेते, चाहे काम के कितने दबाव और तनाव में वो क्यों न हों।
अभी पिछले लोकसभा चुनाव प्रचार की बात कर लें, मैं चंडीगढ़ में था जहां उस दिन पीएम की रैली थी। मैं इंटरव्यू करने के लिए मंच पर गया। रात तकरीबन आठ बजे का समय हुआ था और उस दिन वहां पीएम की चौथी रैली थी। देश के अलग - अलग हिस्से में तीन रैलियां करके वह चंडीगढ़ पहुंचे थे। उनकी थकान और व्यस्तता का आलम समझा जा सकता है। चंडीगढ़ में जैसे ही भाषण समाप्त हुआ ,एसपीजी ने मुझे मंच पर जाने दिया। जब मैं मंच पर पहुंचा तो पीएम भाषण सुनने आए प्रशंसकों के विशाल हुजूम का हाथ हिलाकर उनके "मोदी-मोदी अभिवादन" स्वीकार कर रहे थे।
सतर्क भाव से आगे बढ़ता हुआ मेरा पहला कदम मंच पर पड़ा और ठीक उसी समय पीएम दर्शकों के अभिवादन के बाद पीछे मुड़े और उनकी मुझ पर नज़र पड़ी। अगले ही पल दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता ने दोनों हाथ फैलाकर मुस्कुराते हुए ज़ोरदार अंदाज में पूछा -पाराशर, कैसे हो ? पीएम की सहजता और शब्दों की ऊर्जा से सुखद झटका लगना स्वाभाविक था। पीएम की ऊर्जा ऐसी थी मानों अभी-अभी सुबह हुई हो और काम के लिए वो निकलने वाले हों। फिर पीएम ने पूछा कि क्या करना चाहते हो और मेरा जवाब था यहीं मंच पर इंटरव्यू। मुझे लगा कि दिन भर की भागमभाग और थकान के बाद स्वाभाविक तौर पर पीएम थके होंगे, इसलिए मैंने पूछा कि आप खड़े होकर इंटरव्यू देना चाहेंगे या बैठकर ? पीएम ने अपनी पसंद मुझ पर थोपने के बजाय मुझसे हीं पूछा कि तुम क्या चाहते हो ? मैंने थोड़ा झिझकते हुए कहा कि मेरा मन तो स्टैंडिंग पोजीशन में इंटरव्यू करने का है ...अगले हीं पल पीएम ने हंसते हुए कहा -अच्छा है, चुनाव का समय है, बैठाओगे क्यों, खड़ा रखो..फिर पीएम ने पूछा कि कहां खड़ा हो जाऊं और कैमरामैन ने अपनी पसंद से उन्हें लेफ्ट राइट भी करा दिया और वो सहज भाव से करते रहे।
एक शब्द भी उन्होंने पूछा नहीं कि किस विषय पर बात करनी है। इंटरव्यू शुरू करते समय मैंने अपनी तरफ से कहा कि सात-आठ सवाल पूछना है तो पीएम ने कहा कि -अरे नहीं, बहुत जरूरी मीटिंग है दिल्ली में और मुझे निकलना है, जल्दी फ्री कर दो मुझे। मेरे मुंह से एकदम जिद्द वाले अंदाज में निकला -बिल्कुल नहीं, सात-आठ सवाल तो पूछूंगा ही और आप बीच में नहीं जाएंगे... मेरी बेधड़क बेचैनी को देखकर पीएम मुस्कुराए और कहा कि चलो पूछो, क्या पूछना है।पीएम वहां से तब निकले ,जब मेरी तरफ से इंटरव्यू पूरा हो गया..कोई झल्लाहट, थकान ,जल्दबाजी ,पद और पावर का अहंकार जैसी नकारात्मक चीजों का नामोनिशान नहीं।धैर्य ,सहजता ,ईमानदारी ,स्पष्टता, साफगोई, तार्किकता, विवेकशीलता,सामने वाले की बात सुनना और उसे महत्व का अहसास दिलाना जैसी सकारात्मक चीजें हीं पीएम के साथ मौजूद रहती हैं।
किसी भी ग्राउंड रिपोर्टर के लिए देश के प्रधानमंत्री का इंटरव्यू करना सुखद अहसास देनेवाला होता है, लेकिन मेरे लिए यह अवसर अद्भुत बना जब इंटरव्यू ऑन एयर होते हीं मां का फोन आया - मुझे गर्व है तुम पर। चंडीगढ़ से रात में लौटते समय मैं सोच रहा था, मां हीराबेन के बेटे सरकार की योजनाओं और अपने व्यवहार और व्यक्तित्व के मार्फत अनवरत किस-किस तरीके से लोगों को खुशियां बांटते हैं। ईश्वर उन्हें स्वस्थ रखें। मेरा सदैव मानना है कि कोई भी व्यक्ति पीएम मोदी से मिल ले या उनको जानने की कोशिश करे तो उनके व्यक्तित्व से प्रभावित हुए बिना रह हीं नहीं सकता। सार्वजनिक जीवन में पीएम की आलोचना करनेवाले कई नेताओं को ऑफ रिकार्ड बातचीत में मैंने पीएम की भूरि-भूरि प्रशंसा करते सुना है। इस पर मुझे हैरानी भी नहीं होती..क्योंकि कुछ व्यक्तित्व होते हैं खास, बेहद खास !