नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देश में संपूर्ण लॉकडाउन का ऐलान किया था जो अब अपने अंतिम पड़ाव की तरफ बढ़ रहा है। वहीं दूसरी तरफ हर दिन कोरोना संक्रमितों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। इस बीच हर किसी की जुबान पर ये सवाल है कि आखिर 14 अप्रैल को लॉकडाउन का पीरियड पूरा होने के बाद क्या होगा? इसका जवाब पीएम मोदी ने दिया। पीएम मोदी ने सोमवार को कहा कि ऐसे क्षेत्र जो हॉटस्पॉट नहीं है, उन्हें धीरे-धीरे खोलने की योजना बनाई जानी चाहिए। मंत्रिपरिषद की बैठक को संबोधित करते हुए, पीएम मोदी ने संकेत दिया कि लॉकडाउन खोलने के लिए एक क्रमिक शुरुआत की जाएगी।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के एक बयान में कहा गया है, "उन्होंने कहा कि जहां हॉटस्पॉट्स नहीं हैं, वहां धीरे-धीरे विभागों को खोलने के लिए एक योजना बनाई जाए। उन्होंने आगे कहा कि यह संकट चिकित्सा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने का अवसर प्रदान करता है।" प्रधानमंत्री द्वारा घोषित तीन सप्ताह का लॉकडाउन 14 अप्रैल को समाप्त हो रहा है।
अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 के प्रभाव के बारे में, प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार को इस प्रभाव को कम करने के लिए युद्ध स्तर पर काम करना होगा, और इसके लिए मंत्रालयों को व्यापार की निरंतरता बनाने के लिए योजना तैयार करनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन समाप्त होने के बाद पैदा होने वाली हुई परिस्थितियों के लिए रणनीति बनाना आवश्यक है।
पोस्ट-लॉकडाउन अवधि के लिए तैयारी का संकेत देते हुए, उन्होंने मंत्रियों से कहा कि लॉकडाउन समाप्त होने के बाद दस प्रमुख निर्णयों और फोकस के दस प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की सूची तैयार करें।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में यह भी संकेत दिया कि अब से भारत को अधिक स्वदेशी क्षमता का निर्माण करना होगा। पैदा हो रही चुनौतियों के कारण, देश को अन्य देशों पर अपनी निर्भरता कम करने की आवश्यकता है। उन्होंने सभी विभागों से कहा कि उनका काम 'मेक इन इंडिया' को कैसे बढ़ावा देगा, इस बाररे में सोचें।
उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है कि पीडीएस केंद्रों पर भीड़ न हो, प्रभावी निगरानी बनी रहे, शिकायतों पर कार्रवाई हो और कालाबाजारी को रोका जा सके और आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हो सके।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार किसानों को कटाई के मौसम में हर संभव सहायता प्रदान करेगी। इस संबंध में, उन्होंने तकनीक पर ध्यान केंद्रित करने और एप-आधारित कैब सेवाओं की तर्ज पर मंडियों के साथ किसानों को जोड़ने के लिए 'ट्रक एग्रीगेटर्स' का उपयोग करने जैसे नए समाधानों को प्रोत्साहित करने का सुझाव दिया। उन्होंने आदिवासी उत्पादों की खरीद सुनिश्चित करने के लिए एक रणनीति तैयार करने की आवश्यकता भी जताई, ताकि आदिवासी आबादी के आय का स्रोत बरकरार रहे।
(Input IANS)