नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार (26 सितंबर) शाम को यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली (UNGA) के 75वें सत्र की आम सभा को संबोधित करेंगे। पीएम मोदी के संबोधन के लिए पूर्वाह्न से पहले का समय निर्धिारित किया गया है। कार्यक्रम के शेड्यूल के मुताबिक पीएम मोदी को पहले वक्ता के रूप में रखा गया है। भारतीय समयानुसार प्रधानमंत्री मोदी का ये संबोधन शनिवार शाम करीब 6.30 बजे होगा।
भारत की प्राथमिकताओं को बताते हुए पीएम मोदी का मुख्य जोर आतंकरोधी वैश्विक कार्रवाई को और मजबूत किए जाने पर होगा। भारत इस बात पर भी बल देगा कि प्रतिबंध समितियों में व्यक्तियों और संस्थाओं को सूची में रखे जाने और बाहर करने की प्रक्रिया और ज्यादा पारदर्शी बनाई जाए। पर्यवेक्षकों के मुताबिक, भारत संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में गहराई से भूमिका निभाने पर भी जोर देगा।
इस बार यूएनजीए सत्र का विषय 'भविष्य जो हम चाहते हैं, संयुक्त राष्ट्र जिसकी हमें जरूरत है: बहुपक्षवाद के लिए हमारी सामूहिक प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए, COVID-19 का सामना करने में प्रभावी बहुपक्षीय कार्रवाई' है। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण इस बार संयुक्त राष्ट्र महासभा की यह कार्यक्रम वर्चुअल तरीके से हो रही है। ऐसा कहा जा रहा है कि शनिवार शाम (26 सितंबर) को होने वाले इस संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी भारत के कुछ अहम मुद्दों पर पक्ष रख सकते हैं।
भारत के लिए कुछ प्राथमिकता के मुद्दे
- यूएन के लिए एक सबसे बड़े ट्रूप कंट्रीब्यूटिंग कंट्री (यूएन शांति मिशन में अपने सैनिक भेजने वाला देश) में से एक होने के नाते, भारत संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन के लिए मेंडेट तय करने की प्रक्रिया में अधिक सक्रिय भागीदारी है।
- आतंकवाद-निरोध पर वैश्विक कार्रवाई को मजबूत करने के लिए, भारत समितियों में संस्थाओं और व्यक्तियों को सूचीबद्ध करने और प्रस्तुत करने की प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता के लिए जोर देगा।
- सतत विकास और जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दों पर भारत की सक्रिय भागीदारी को जारी रखना।
- एक शुद्ध स्वास्थ्य सेवा प्रदाता के रूप में भारत की भूमिका को बढ़ावा देते हुए, भारत 150 से अधिक देशों और दुनिया के लिए एक फार्मेसी के रूप में सहायता करके कोविड -19 के खिलाफ वैश्विक सहयोग में योगदान को उजागर करेगा।
- साल 2020 में महिलाओं पर चौथे विश्व सम्मेलन की 25वीं वर्षगांठ भी है। ऐसे में भारत महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास में अपनी प्रतिबद्धताओं और उपलब्धियों को दोहराएगा।
- दक्षिण-दक्षिण विकास भागीदार के रूप में भारत की भूमिका पर भी जोर दिया जाएगा।
- जलवायु परिवर्तन पर एसडीजी 17 के तहत वैश्विक साझेदारी के विचार के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को उभारा जाएगा। खासकर अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की स्थापना जैसे कदमों को।