कोच्चि: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केरल के दो सीरियन चर्च समूहों के बीच सालों पुराने विवाद के समाधान के लिए मंगलवार को नयी दिल्ली में जैकबाइट सीरियन क्रिस्चियन चर्च के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की। प्रधानमंत्री ने अपने कार्यालय में गिरजाघरों के वरिष्ठ पादरियों से मुलाकात की। एक दिन पहले ही उन्होंने मलंकारा ऑर्थोडॉक्स सीरियन चर्च के प्रतिनिधियों से बातचीत की थी। दोनों समूहों ने मोदी के साथ अपनी मुलाकात को ‘सौहार्दपूर्ण और लाभदायक’ बताते हुए मंगलवार को अलग-अलग बयान जारी किये।
उच्चतम न्यायालय के 2017 के ऑर्थोडॉक्स धड़े को 1,000 से अधिक गिरजाघरों और उनसे जुड़ी संपत्तियों का कब्जा देने के एक आदेश के क्रियान्वयन के बाद दोनों धड़ों के बीच विवाद बढ़ गया था। प्रधानमंत्री के साथ दो अलग-अलग मुलाकातों के बाद दोनों समूहों के प्रतिनिधियों ने नयी दिल्ली स्थित मिजोरम भवन में राज्यपाल पी एस श्रीधरन पिल्लै द्वारा दिये गये भोज पर मुलाकात की। राज्यपाल ने ही मोदी के साथ उनकी बैठक की व्यवस्था की थी। जैकबाइट समूह ने कहा कि उनके प्रतिनिधियों ने प्रधानमंत्री का ध्यान समूह को ‘धार्मिक स्वतंत्रता, उपासना की आजादी और न्याय नहीं मिलने’ की ओर आकृष्ट किया और विवाद के समाधान के लिए उनके हस्तक्षेप की मांग की।
उन्होंने बयान में ऑर्थोडॉक्स धड़े को ‘असंतुष्ट समूह’ बताया जो उनसे अलग हो गया था और चर्च विवाद मामले में शीर्ष अदालत के 2017 के एक आदेश का ‘दुरुपयोग कर मुद्दे खड़े कर रहा है’। उसने कहा कि विशेष रूप से आस्था से जुड़े मसलों का हल लगातार मुकदमेबाजी से नहीं निकल सकता और इन मुद्दों का समाधान अलग तरीकों से निकाला जाना चाहिए। जैकबाइट समूह ने एक बयान में कहा, ‘‘माननीय प्रधानमंत्री की सहभागिता मूल्यवान है।’’ चर्च ने कहा कि उनके प्रतिनिधिमंडल ने मोदी से उनके ‘संवैधानिक और मौलिक अधिकारों’ के संरक्षण के लिए ‘दखल’ देने की अपील की थी।
इसमें कहा गया, ‘‘भारत में इस प्राचीन गिरजाघर, जैकबाइट सीरियन क्रिस्चियन चर्च के अनुयायियों के लोकतांत्रिक अधिकारों को सुनिश्चित करना भी जरूरी है।’’ जैकबाइट चर्च ने कहा कि मोदी ने पूरे ध्यान से उनकी शिकायतों को सुना और आश्वासन दिया कि वह सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए हरसंभव सर्वश्रेष्ठ प्रयास करेंगे। बयान के अनुसार, ‘‘प्रधानमंत्री मोदीजी खुद ऐसे व्यक्ति हैं जो हमेशा वंचितों का ध्यान रखते हैं। हमें लगता है कि आज की बैठकें सही दिशा में उठाया गया कदम था।’’
ऑर्थोडॉक्स समूह ने कहा कि प्रधानमंत्री के सामने एक मुख्य विषय में उच्चतम न्यायालय के तीन जुलाई 2017 के फैसले को रखा गया जिसमें कहा गया है कि मलंकारा ऑर्थोडॉक्स चर्च के 1934 के विधान के आधार पर एक संगठित चर्च होना चाहिए। उसके बयान में कहा गया कि जनता के विश्वास के रूप में चर्च के भीतर चर्चों का विभाजन नहीं किया जा सकता। ऑर्थोडॉक्स समूह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने ध्यान से अनेक विषयों को सुना और मलंकारा ऑर्थोडॉक्स चर्च की प्राचीन जड़ों की जानकारी होते हुए उन्होंने उम्मीद जताई कि उच्चतम न्यायालय के निर्णय के आधार पर सुलह का कोई तरीका निकाला जाना चाहिए।बयान के अनुसार उन्होंने समुदाय के लोगों के बीच शांति और भाईचारा बनाकर रखने की अपनी गहन प्रतिबद्धता भी व्यक्त की। इससे पहले माकपा नीत एलडीएफ सरकार ने करीब एक हजार गिरजाघरों के प्रबंधन को लेकर विवाद के समाधान के लिए दोनों धड़ों के बीच मध्यस्थता का प्रयास किया था। मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के प्रयासों का कोई परिणाम नहीं निकला। ऑर्थोडॉक्स धड़ा जहां अपनी इस मांग पर कायम रहा कि 2017 के उच्चतम न्यायालय के आदेश को लागू किया जाए, वहीं जैकबाइट धड़े ने आरोप लगाया कि दूसरा समूह आदेश का गलत मतलब निकाल रहा है और अनैतिक तरीके से गिरजघरों का प्रबंधन अपने हाथ में ले रहा है। दोनों समूहों के विरोध प्रदर्शन की वजह से कई बार राज्य में कई गिरजाघरों में कानून व्यवस्था की स्थिति पैदा हो चुकी है।