जयपुर। प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY), भारत सरका की एक ऐसी योजना जिसमें हर गरीब परिवार का अपना घर होने के बात कही गई है। इस योजना के तहत देशभर में लाखों गरीब लोगों को घर भी मिले हैं। इस योजना के तहत भारत सरकार उन लोगों को सब्सिडी देती है, जो अपना घर बनाना चाहते हैं या फिर सरकार द्वार बनाया हुआ घर लेना चाहते है। लेकिन केंद्र सरकार के योजना को लागू करने के मामले में राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार बहुत पीछे है।
इंडिया टीवी को मिले आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान में पीएम आवास योजना के तहत जितने घर बनने चाहिये थे, उसके आधे भी नहीं बन पाए हैं। हालात तो ये हैं कि भारत सरकार से पैसा राजस्थान सरकार को मिल गया है, लेकिन राज्य सरकार की लापरवाही कहें या फिर इच्छा शक्ति की कमी, इन मकानों को बनाने के लिए जितने प्रयास होने चाहिए थे उतने धरातल पर दिखाई नहीं दे रहे।
25 जून 2015 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संकल्प लिया था कि 31 मार्च 2022 तक देश भर में 2 करोड़ घर बनाए जाएंगे। प्रधानमंत्री के इस संकल्प को राज्य सरकार किस बखूबी से साकार करने मे जुटी हुई है, ये इसी बात से पता लग जाता है कि राजस्थान मे जून 2015 से अब तक पीएम आवास योजना के तहत जितने मकान बनने चाहिये थे उसके आधे भी पूरे नहीं हो पाये है।
अधिकरी बोले- निकायों का नहीं मिल रहा सहयोग
इंडिया टीवी को मिले आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक गहलोत सरकार इस योजना मे कोई भी कोशिश करती नजर ही नहीं आ रही है। यही वजह है कि अधिकारी तक ये शिकायत कर रहे हैं कि पीएम आवास योजना में बजट तो आया हुआ है लेकिन प्रदेश के निकायों की मदद नहीं मिल रही है यानी सूबे के यूडीएच मिनिस्टर शांती धारीवाल ये चाहते ही नहीं कि पीएम का सपना साकार हो सके।
क्या कहते हैं आंकड़े?
धौलपुर- 0 फीसदी
राजस्थान में पीएम आवास योजना के तहत मकान बनाने का जो लक्ष्य रखा था उसेमे सबसे पहले धौलपुर जिले का नाम आता है। धौलपुर पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे का गृह जिला है। जहां 2015 से अब 7,650 मकान बन जाने चाहिए थे लेकिन एक भी ही नहीं बना।
टोंक- 55 फीसदी
उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट जहां से चुनाव जीतकर आते है, वहां अबतक 12,420 मकान बनने थे लेकिन मकान बने महज 6852। यहां EWS और LIG कैटेगरी का कोई मकान कोई बना ही नहीं।
हनुमानगढ़- 1 फीसदी
हनुमानढ़ में 21539 मकान बनने थे लेकिन बने सिर्फ 231 मकान ही बन सके।
बांसवाड़ा- 4 फीसदी
बांसवाड़ा में 8628 मकान बनने थे लेकिन बने सिर्फ 304। इसी तरह डूंगरपुर में 2966 मकान बनने थे 422 मकान ही हकीकत का रूप ले सके। दौसा में 3273 मकान बनने थे बने सिर्फ 506। प्रतापगढ़ में 2708 मकान बनने थे, लेकिन महज 541 ही बन सके। सीकर में 13,298 मकान बनने थे लेकिन बने सिर्फ 3985। श्रीगंगानगर में 19,637 मकान बनने थे लेकिन अब तक महज 6,492 ही बन पाए हैं। झालावाड़ में 6,021 मकान बनने थे बने सिर्फ 2082 ही बने। अलवर में 20337 मकान बनने थे लेकिन बने सिर्फ 7139। इसी तरह भीलवाड़ा में 8709 मकान बनने थे लेकिन बने सिर्फ 3409।
हालांकि ऐसा नहीं है कि पूरे राजस्थान का एक जैसा ही हाल है। कुछ एक इलाके ऐसे भी हैं, जहां काम अच्छा हुआ है। इस जिलों में जोधपुर, जालोर, सिरोही और बाड़मेर के नाम शामिल हैं। आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान में 4 लाख 17 हजार 67 मकान बन जाने चाहिये थे, लेकिन बने सिर्फ 1 लाख 60 हजार 700 यानी अचीवमेंट सिर्फ 39 प्रतिशत आधे से भी कम।