नई दिल्ली: देश में हिंदू और मुस्लिम आबादी को लेकर नई बहस छिड़ गई है। सोमवार को हिंदू युवा वाहिनी ने मुस्लिमों की आबादी पर सवाल उठाए तो मंगलवार को हिंदुओं की आबादी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई। इस याचिका के जरिए आठ राज्यों मे हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा दिए जाने की मांग की गई है। जिस देश में हिंदु बहुसंख्यक हैं वहां हिंदु अल्पसंख्यक, सुनने में अजीब लगता है लेकिन ये सच है। अब आठ राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक घोषित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है और सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका दायर की है भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने।
याचिका में जम्मू-कश्मीर समेत आठ राज्यों में हिंदुओं के अल्पसंख्यक होने की बात कही गई है और वहां हिंदुओं को अल्पसंख्यकों वाले अधिकार देने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय के मुताबिक लक्षद्वीप, मिजोरम, नगालैंड, मेघालय, जम्मू-कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश मणिपुर और पंजाब में हिंदू अल्पसंख्यक हैं। 2011 जनगणना के मुताबिक लक्षद्वीप में हिंदू 2.5 परसेंट हैं जबकि अल्पसंख्यक घोषित मुस्लिम 96.58 परसेंट हैं। जम्मू कश्मीर में हिंदू 28.44 परसेंट हैं जबकि मुस्लिम 68.31 परसेंट हैं। मिजोरम में हिंदू 2.7 परसेंट हैं, लेकिन अल्पसंख्यक का दर्जा पाए ईसाई 87 परसेंट से ज्यादा हैं।
इसी तरह नगालैंड में हिंदू 8.75 परसेंट और ईसाई करीब 88 परसेंट हैं तो वहीं मेघालय में हिंदू साढ़े ग्यारह और ईसाई करीब साढ़े चौहत्तर परसेंट हैं। अरुणाचल और मणिपुर में भी अल्पसंख्यक ईसाइयों की आबादी हिंदुओं से ज्यादा हैं। आबादी के हिसाब से पंजाब में भी हिंदू कम हैं। यहां हिंदू 38.4 परसेंट जबकि सिख 57.69 परसेंट है। आठ राज्यों में हिंदूओं को अल्पसंख्यक का दर्जा दिए जाने के सवाल पर सियासत भी शुरू हो गई है।
दिल्ली की फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मुफ्ती मुकर्रम का कहना है कि 2011 जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक देश में 96 करोड़ 62 लाख हिंदू और 17 करोड़ 22 लाख मुस्लिम हैं। ईसाई करीब पौने 3 करोड़ और सिख 2 करोड़ 8 लाख हैं लेकिन स्टेटवाइज़ डेटा में कई जगह अल्पसंख्यक मेजॉरिटी में हैं।
याचिका में 1993 में केंद्र सरकार की तरफ से जारी उस नोटिफिकेशन को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है जिसमें मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी को अल्पसंख्यक घोषित किया गया था।