नई दिल्ली. पेट्रोल पंप डीलर्स एसोसिएशन ऑफ पंजाब ने 8 दिसंबर को किसान संगठनों के भारत बंद को समर्थन देने की घोषणा की। एसोसिएशन के अध्यक्ष परमजीत सिंह दोआबा ने रविवार को कहा कि राज्य के सभी पंप बंद रहेंगे और तेल केवल आपातकालीन सेवाओं के लिए उपलब्ध होगा। इस बीच, अधिक वैट के कारण, पंजाब के किसानों को आस-पास के राज्यों से तेल खरीदना पड़ता है। एसोसिएशन राज्य सरकार से करों को कम करने के लिए कह रहा है। एसोसिएशन के अनुसार, पड़ोसी राज्यों की तुलना में पेट्रोल और डीजल 3-4 रुपये महंगा बेचा जा रहा है, किसानों पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है।
दिल्ली में कुछ ऑटो, टैक्सी संघ मंगलवार के 'भारत बंद' में शामिल होंगे
दिल्ली में आगामी मंगलवार को यात्रियों को समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि शहर के कुछ ऑटो और टैक्सी संघों ने केन्द्र के नए कृषि कानूनों के विरोध में आठ दिसंबर को बुलाए गए 'भारत बंद' के समर्थन का फैसला किया है। हालांकि, कई अन्य संघों ने किसानों के आंदोलन को अपना समर्थन देने के बावजूद सेवाएं सामान्य तौर पर जारी रखने का निर्णय लिया है। दिल्ली टैक्सी टूरिस्ट ट्रांसपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय सम्राट ने एक बयान में कहा कि कई आटो-टैक्सी संगठन आठ दिसंबर के भारत बंद में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि किसानों को अपना समर्थन जताने के लिए विभिन्न बस एवं टैक्सी संगठनों के प्रतिनिधि रविवार को सिंघु बॉर्डर भी पहुंचे।भारतीय किसान संघ ने शामिल होने से किया इंकार
आरएसएस से जुड़े भारतीय किसान संघ ने किसान संगठनों के इस भारत बंद से दूरी बना ली है। बंद से दूरी बनाने के पीछे का कारण बताते हुए भारतीय किसान संघ ने कहा है कि जब दोनों पक्ष 9 दिसंबर को फिर से वार्ता करने के लिए सहमत हुए हैं तो फिर 8 दिसंबर को भारत बंद की घोषणा उचित नहीं है। भारतीय किसान संघ ने अपने बयान में कहा है कि अभी तक किसान आंदोलन अनुशासित चला है, लेकिन मौजूदा घटनाक्रम इस ओर इशारा कर रहे हैं कि विदेशी ताकतें, राष्ट्रद्रोही तत्व और कुछ राजनीतिक दल इस आंदोलन को अराजकता की ओर मोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
भारतीय किसान संघ ने अंदेशा जताते हुए कहा है कि इस बात का डर है कि उपद्रवी किसानों के इस आंदोलन को 2017 की मंदसौर वाली घटना में न बदल दें, जहां छह किसानों की गोलियों से मौत हुई थी। जिन लोगों ने किसानों को हिंसक आंदोलनों में झोंका वे नेता तो विधायक और मंत्री बन गए, परंतु जो जले-मरे उनके परिवार, आज बर्बादी का दंश झेल रहे हैं। ऐसे आंदोलन से नुकसान तो देश का और किसानों का ही होता है। इसलिए भारतीय किसान संघ ने भारत बंद से अलग रहने का निर्णय लिया है।