नई दिल्ली। दिल्ली भाजपा के नेताओं ने शुक्रवार को एक रिपोर्ट जारी की जिसमें दावा किया गया है कि केंद्र सरकार के स्कूलों का प्रदर्शन दिल्ली सरकार के स्कूलों से बेहतर है क्योंकि आम आदमी पार्टी सरकार ने बड़ी-बड़ी घोषणाएं कीं, लेकिन उन पर अमल नहीं किया। हालांकि दिल्ली सरकार ने रिपोर्ट को यह कहकर खारिज कर दिया कि दिल्ली सरकार के स्कूलों की तुलना केंद्र द्वारा संचालित केंद्रीय विद्यालयों से करना ठीक नहीं है क्योंकि केंद्रीय विद्यालयों में छात्रों को प्रवेश परीक्षा के आधार पर लिया जाता है।
भाजपा से जुड़े लोकनीति शोध केंद्र (पीपीआरसी) के निदेशक विनय सहस्रबुद्धे, दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी और सांसदों गौतम गंभीर, प्रवेश वर्मा और मीनाक्षी लेखी ने दिल्ली में शिक्षा के स्तर पर रिपोर्ट जारी की जो पिछले तीन महीनों में लगभग एक हजार आरटीआई आवेदनों के सरकार से प्राप्त जवाब पर आधारित है।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दिल्ली सरकार के स्कूलों में कक्षा दस उत्तीर्ण करने वाले छात्रों का प्रतिशत 2015 में 95.81 से गिरकर 2019 में 71.58 तक पहुंच गया जबकि उसी समय केंद्रीय विद्यालयों में यह प्रतिशत 99.59 से बढ़कर 99.79 हो गया।
रिपोर्ट में कहा गया कि इस वर्ष दिल्ली सरकार द्वारा संचालित विद्यालयों में कक्षा दस में पढ़ने वाले 28.42 प्रतिशत विद्यार्थी अनुत्तीर्ण हुए जबकि केंद्रीय विद्यालयों में केवल 0.21 प्रतिशत विद्यार्थी अनुत्तीर्ण हुए। इसमें कहा गया है कि दिल्ली सरकार के स्कूलों में कक्षा बारह के एक प्रतिशत से भी कम छात्र दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए आवेदन करने योग्य होते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली सरकार के स्कूलों में स्थायी शिक्षकों के पचास प्रतिशत से अधिक पद रिक्त रहते हैं जिसके कारण शिक्षा की गुणवत्ता और पढ़ाने पर सीधा प्रभाव पड़ता है। सहस्रबुद्धे ने दावा किया कि दिल्ली सरकार ने प्रचार के लिए अखबारों में पूरे पेज का विज्ञापन छपवाया लेकिन जमीन पर कोई काम नहीं किया।
पीपीआरसी के निदेशक एवं राज्यसभा सदस्य विनय सहस्रबुद्धे ने कहा, ‘‘हालांकि आम आदमी पार्टी सरकार ने पिछले पांच साल में शिक्षा पर खर्च में बढ़ोतरी का दावा किया लेकिन बुनियादी ढांचे में कोई सुधार नहीं दिखाई दिया। उसने केवल अपने कार्यकर्ताओं को सलाहकार और परामर्शदाता के रूप में नियुक्त किया।’’
उन्होंने यह भी कहा कि आरटीआई आवेदन के जवाब में यह पाया गया कि दिल्ली सरकार के अधिकतर स्कूलों में कोई ‘स्मार्ट क्लास’ नहीं है। रिपोर्ट जारी करने वाले दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार के स्कूलों में नए अध्ययन कक्षों के निर्माण में घोटाला किया गया है। उन्होंने कहा कि इस बारे में जल्द खुलासा किया जाएगा।
थिंक टैंक की रिपोर्ट को नकारते हुए दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग के सलाहकार शैलेन्द्र शर्मा ने कहा कि केंद्रीय विद्यालयों में छात्रों को प्रवेश परीक्षा के आधार पर दाखिला दिया जाता है और ऐसा दिल्ली सरकार के स्कूलों में नहीं होता। उन्होंने कहा, ‘‘इसके परिणामस्वरूप जहां दिल्ली सरकार के स्कूलों में 1.6 लाख छात्रों ने 2019 में कक्षा दस की परीक्षा दी थी, वहीं केंद्रीय विद्यालयों में यह संख्या मात्र 7,800 थी।’’
शर्मा ने कहा कि केंद्रीय विद्यालय से सही तुलना तब होती जब दिल्ली सरकार के राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय से तुलना की जाती। उन्होंने कहा कि राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय में भी प्रवेश परीक्षा के आधार पर छात्रों का दाखिला लिया जाता है और 2019 में उन स्कूलों में 99.06 प्रतिशत छात्र उत्तीर्ण हुए। शर्मा ने कहा कि बारहवीं उत्तीर्ण करने वाला कोई भी छात्र दिल्ली विश्वविद्यालय के स्नातक पाठ्यक्रम के लिए आवेदन कर सकता है हालांकि ऊंची कट ऑफ के कारण केवल परीक्षा उत्तीर्ण करना ही पर्याप्त नहीं होता।