नई दिल्ली: भ्रष्ट कौन? नेता, पुलिस या अधिकारी? हाल में प्रकाशित एक नई किताब में इस सवाल पर अलग अलग वर्ग के लोगों ने अलग-अलग नजरिया पेश किया है। ‘ए क्रूसेड अगेंस्ट करप्शन’ नाम की किताब में शामिल एक सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि आम नागरिकों की नजर में जहां नेता और पुलिस के लोग सबसे ज्यादा भ्रष्ट हैं, वहीं आम लोग जनप्रतिनिधियों को सबसे अधिक भ्रष्टाचार अफसरशाही में रूप में देखते हैं।
भ्रष्टाचार को लेकर यही सवाल जब उद्यमियों और व्यापारियों से पूछा गया तो उनकी उंगली नेता, पुलिस, अफसर और उद्योगपतियों की ओर करीब-करीब बराबर भाव से उठी। जहां तक जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों की बात है उनमें 45.2 प्रतिशत प्रशासन और नौकरशाही को सबसे अधिक भ्रष्ट मानते हैं। हालांकि, 26.1 प्रतिशत ने कहा कि राजनीति में लोग सबसे ज्यादा भ्रष्ट हैं। उनकी निगाह में इसके बाद व्यवसायियों और पेशेवरों का स्थान आता है।
जनप्रतिनिधियों में 69 प्रतिशत ने माना कि राजनेता, उद्योगपति और अपराधी एक दूसरे को मदद पहुंचाते हैं। जनप्रतिनितिधियों में 36 प्रतिशत ने कहा कि चंदा देने वालों ने उनके ऊपर गलत सही काम कराने का दबाव डाला। सर्वे में सरकारी कर्मचारियों ने भ्रष्टाचार की बजाय बेरोजगारी को देश की सबसे बड़ी समस्या माना है। एनजीओ, मीडिया और वकीलों की निगाह में भष्टाचार देश की सबसे बड़ी समस्या है।
भ्रष्टाचार की परिभाषा, इसके कारण और निवारण, इसकी रोकथाम को लेकर कानूनी प्रावधानों, सुर्खियों में रहे बड़े घोटालों और भ्रष्टाचार के खिलाफ जन आंदोलनों को लेकर करीब आठ सौ पृष्ठ की इस पुस्तक को एक वृहदकोश या संदर्भ-ग्रंथ के रूप में दो खंडों में प्रस्तुत किया गया है।
लेखक कहते हैं, यह 2002 से 2017 के 15 वर्ष की उनकी शोध साधना का निष्कर्ष है। पुस्तक में इस लंबी अवधि के बीच हजारों की संख्या में अलग-अलग वर्ग के लोगों से भ्रष्टाचार के विषय में पूछी गई उनकी राय का विश्लेषण भी शामिल है। इस विश्लेषण के अनुसार सामान्य वर्ग के करीब पांच हजार लोगों में से 72.8 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें अपना काम कराने के लिए कभी न कभी रिश्वत देनी पड़ी है। इनमें से 12.5 प्रतिशत ने नेताओं को तो 12 प्रतिशत ने पुलिस को सबसे भ्रष्ट बताया।
हालांकि, सामान्य वर्ग के ही केवल 20.2 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ अधिकारियों से शिकायत की। अन्य ने कोई शिकायत नहीं की। अधिकारियों और कर्मचारियों के वर्ग में 33 प्रतिशत का कहना है कि बेरोजगारी देश की सबसे बडी समस्या है।
उद्यमियों और दुकानदार वर्ग में पंद्रह प्रतिशत से अधिक ने कहा कि भ्रष्टाचार के लिए नेता जिम्मेदार हैं जबकि 14.4 प्रतिशत ने पुलिस को सबसे ज्यादा भ्रष्ट बताया। उसके बाद उनकी निगाह में आयकर विभाग का स्थान रहा। इसी तरह मीडिया, एनजीओ और वकील वर्ग के 14.80 प्रतिशत ने नेताओं को और आठ प्रतिशत ने नौकरशाहों और पुलिस को सबसे अधिक भ्रष्ट बताया।