मुंबई: महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने लॉकडाउन की अवधि के बढ़ने के संकेत दिए हैं। देशमुख ने कहा है कि लोगों को लॉकडाउन बढ़ने को लेकर मानसिक रूप से तैयार रहना चाहिए। इंडिया टीवी से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का खौफ बढ़ रहा है और अमेरिका इटली जैसे बड़े देश इस बीमारी के सामने बेबस हो चुके हैं। अमेरिका के बड़े शहरों की हालत बहुत खराब है। हमारे यहां महाराष्ट्र में भी आंकड़ा बढ़ा है, लेकिन हमारे यहां हेल्थ विभाग और पुलिस के लोग दिन-रात इस बीमारी को कंट्रोल करने में काम कर रहे हैं और इसे रोकने की पूरी कोशिश जारी है।’
‘2-3 चीजों की आ रही दिक्कत’
देशमुख ने आगे कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए के लिए पुलिस, हेल्थ विभाग दिन-रात काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2-3 चीजों की दिक्कत आ रही है और केंद्र से इसका समाधान मंगा गया है। उन्होंने कहा, ‘हमने 3,000 वेंटीलेटर, 10 लाख PPE किट, और 10 लाख N-95 किट की मांग की है। कोरोना का रोगी जब पॉजिटिव पाया जाता है तो इन्हें ये सब पहनना बेहद जरूरी है और केंद्र से इसीलिए हमने मांगे हैं। अभी जितने रोगी हैं उनके लिए हमारे पास व्यवस्था है लेकिन अगर यह और बढ़ता है तो उसके लिए हमने केंद्र से मांग की है।’
‘10-11 अप्रैल को लिया जाएगा फैसला’
देशमुख ने कहा कि लॉकडाउन पर फैसला 10-11 अप्रैल को लिया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘पूरी स्थिति का जायजा लेने के बाद ही इसपर निर्णय होगा, मुख्यमंत्री और सब लोग बैठेंगे। लेकिन ऐसा ही कि सभी को अपनी मानसिकता बनाकर रखनी चाहिए कि जिस तरह से आंकड़ा बढ़ रहा है तो हो सकता है इसको बढ़ाया जाए। लेकिन अभी तक आधिकारिक इसपर फैसला नहीं हुआ है।’ उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में अभी तक कम्युनिटी ट्रांमिशन नहीं हुआ है, अभी तक इसे दूसरी स्टेज पर ही रोककर रखा गया है।
’मरकज के कार्यक्रम की वजह से केस बढ़े’
देशमुख ने महाराष्ट्र में कोरोना वायरस संक्रमण के तेजी से बढ़ने के लिए निजामुद्दीन के मरकज में हुए तबलीगी जमात के कार्यक्रम को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, ‘वैसे तो देखा जाए कि महाराष्ट्र में पूरा मामला कंट्रोल में था, लेकिन दिल्ली के मरकज में जो कार्यक्रम हुआ और वहां से लोग महाराष्ट्र के अलग-अलग जिलों में पहुंचे, उसकी वजह से कोरोना वायरस के केस बढ़े। इसी प्रकार का कार्यक्रम महाराष्ट्र में भी होना था> 50 हजार लोग पहुंचने वाले थे लेकिन उसकी अनुमति हमने निरस्त की। दिल्ली पुलिस को भी उसकी अनुमति रद्द करनी चाहिए थी।’