नई दिल्ली: शुक्रवार को बड़े पैमाने पर स्मार्टफोन यूजर्स आधार नंबर लागू करनेवाली एजेंसी यूआईडीएआई के टॉल फ्री नंबर के अपने फोनबुक में अपने आप सेव हो जाने से भौंचक हो गए। इसके तुरंत बाद लोगों की निजता से जुड़ी चिंताएं सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगीं। इसके बाद यूआईडीएआई और दूरसंचार कंपनियों ने इस घटना में अपनी भूमिका होने से इनकार किया। देश में हजारों स्मार्टफोन यूजर्स शुक्रवार को हक्के-बक्के रह गए, जब उन्होंने पाया कि यूआईडीएआई का टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर उनके फोन बुक में खुद से सेव हो गया है।
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने कहा कि कुछ निहित हितों के कारण 'जानबूझकर' जनता में भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है और प्राधिकरण ने स्पष्ट किया कि उसने किसी निर्माता या दूरसंचार सेवा प्रदाता से ऐसी सुविधा प्रदान करने के लिए नहीं कहा है। इसके बाद ट्विटर पर हैश यूआईडीएआई ट्रेंड करने लगा और स्मार्टफोन यूजर्स अपना स्क्रीन शॉट लगाकर खुद की निजता को लेकर चिंता जाहिर करने लगे।
एक यूजर ने सेव्ड नंबर का स्क्रीन शॉट ट्वीट करते हुए लिखा, "यह कोई मजाक नहीं है। मेरे फोन में भी ऐसा हुआ है। मैंने इस नंबर को सेव नहीं किया था। जल्दी से अपना फोन भी चेक करें, मुझे चिंता हो रही है।" एक दूसरे यूजर ने ट्वीट किया, "ये कैसे हुआ कि यह नंबर मेरे फोन बुक में आ गया? अगर आप ऐसा कर सकते हैं तो आप गतिविधियों की निगरानी भी कर सकते हैं।"
एक फ्रांसीसी सुरक्षा विशेषज्ञ एलियट एल्डरसन ने यूआईडीएआई से ट्विटर पर पूछा, "कई लोग, जिनके अलग-अलग सेवा प्रदाता है, चाहे उनके पास आधार कार्ड हो या ना हो या उन्होंने आधार एप इंस्टाल किया है या नहीं किया है। उन्होंने अपने फोन में नोटिस किया होगा कि बिना अपने कांटैक्ट लिस्ट में जोड़े आधार का हेल्पलाइन नंबर क्यों आ रहा है। क्या आप इसकी सफाई दे सकते हैं, क्यों?"
इस बहस में कई लोग शामिल हुए और उन्होंने अपने फोन में अचानक आधार नंबर के आने के स्क्रीन शॉट्स को साझा करना शुरू कर दिया। एक ट्विटर यूजर ने कहा, "हां, यह सच है। यूआईडीएआई का हेल्पलाइन नंबर मेरे फोन बुक में जादू से आ गया। वे हमारा पीछा कर रहे हैं, जैसे एनएसए अमेरिका में करता है?" वहीं, यूआईडीएआई का कहना है कि एंड्रायड फोन्स में जो आधार हेल्पलाइन नंबर दिख रहा है, वह पुराना है और वैध नहीं है। आधिकारिक बयान में कहा गया, "यूआईडीएआई का वैध टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर 1947 है, जो पिछले दो सालों से ज्यादा समय से चल रहा है।"
इस विचित्र घटना में दूरसंचार उद्योग ने किसी दूरसंचार सेवा प्रदाता का हाथ होने से इनकार किया है। सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने एक बयान में कहा, "कई सारे मोबाइल हैंडसेट्स के फोनबुक में कुछ अज्ञात नंबर के सेव हो जाने में दूरसंचार सेवा प्रदाताओं की कोई भूमिका नहीं है।" दूरसंचार कंपनियों ने हालांकि इस मुद्दे पर किसी प्रकार की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि उनका भी यही कहना है, जो सीओएआई ने कहा है। (IANS)