नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि यह ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद’’ है कि वेतन के नियमित भुगतान को लेकर पूर्वी दिल्ली नगर निगम के सफाई कर्मचारियों की हड़ताल के कारण उत्पन्न हुए संकट के समाधान के लिए केन्द्र ‘‘कोई भी भुगतान करने के लिए’’ तैयार नहीं है।
न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की एक पीठ ने कहा कि अदालत ने दिल्ली सरकार के प्रस्ताव पर केन्द्र से गरिमापूर्ण ढंग से प्रतिक्रिया किए जाने की उम्मीद थी। दिल्ली सरकार मानवीय आधार पर नगर निकायों को 500 करोड़ रुपये जारी करने पर सहमत हुई थी। पीठ ने कहा,‘‘दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद है कि केन्द्र सरकार ने अब एक हलफनामा दाखिल किया है कि वह कोई भुगतान करने के लिए तैयार नहीं है।’’
न्यायालय ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि तीन अक्टूबर को दिल्ली सरकार ने अदालत में कहा था कि सफाई संकट को दूर करने के लिए उनके लिए दो दिनों के भीतर 500 करोड़ रुपये की राशि जारी की जाएगी। दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील राहुल मेहरा ने अदालत को बताया कि राशि जारी कर दी गई है।
केन्द्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) मनिंदर सिंह ने पीठ को बताया कि उनके लिए इस संबंध में धनराशि जारी करना ‘‘संभव नहीं’’ है। पीठ ने इस मामले में आगे की सुनवाई के लिए अगली तिथि 24 अक्टूबर तय की।
शीर्ष अदालत ने तीन अक्टूबर को एएसजी से पूछा था कि मौजूदा संकट को दूर करने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा जितनी राशि की पेशकश गई है, क्या वे उतनी ही राशि जारी कर सकते है।