मुंबई: तिब्बत के धर्मगुरु दलाई लामा ने शुक्रवार को कहा कि युवा पीढ़ी को आगे बढ़ने के लिए देश के प्राचीन ज्ञान पर ध्यान देना चाहिए तथा इस बारे में और अधिक सीखना चाहिए। वह मुंबई के एक स्कूल में छात्रों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘आप युवा पीढ़ी हैं, आप भारत का भविष्य हैं। भारत के प्राचीन ज्ञान पर और अधिक ध्यान दीजिए। बाहरी चीजें मसलन आधुनिक विज्ञान, आधुनिक शिक्षा बहुत अच्छे, बहुत उपयोगी है। लेकिन जहां तक भीतरी दुनिया की बात है तो मेरा खयाल है कि उसके सामने आधुनिक शिक्षा, आधुनिक ज्ञान अभी भी बहुत ही शुरुआती चरणों में है।’
तिब्बत के धर्मगुरु ने कहा, ‘भारत का भविष्य बहुत योगदान दे सकता है, खासकर आंतरिक दुनिया के ज्ञान के प्रचार प्रचार में और उसके साथ ही आंतरिक शांति के संबंध में।’ दलाई लामा ने कहा कि उनका जीवन संघर्षों से भरा रहा है और उन्हें यह महसूस हुआ कि कठिनाईयों से पार पाने का एकमात्र रास्ता मानसिक तौर पर मजबूत होना है। उन्होंने कहा, ‘मेरा पूरा जीवन कठिन रहा। कई समस्याएं आईं लेकिन मैंने यह महसूस किया कि मस्तिष्क को तैयार करने का काफी लाभ मिलता है। इससे चीजों को स्पष्ट रूप से समझने तथा मानसिक शांति पाने में मदद मिलती है। मानसिक शांति बहुत महत्वपूर्ण है, शारीरिक स्वास्थ्य के लिहाज से भी।’
उन्होंने कहा कि सच को लेकर देश का ज्ञान समृद्ध है और उसका दर्शन भी बाकी के विश्व से बिलकुल अलग है। दलाई लामा ने कहा, ‘आप इस महान देश की युवा पीढ़ी हैं। मैंने देश के साथ महान विशेषण इसलिए जोड़ा क्योंकि यह एक लोकतांत्रिक देश और अर्थव्यवस्था है। जब बाकी की पूरी दुनिया अब भी अंधेरे में है, अज्ञानी बनी रही, तब लगभग 3,000 वर्षों से यह देश वास्तविकता को जानने और सच के गहरे मायनों को समझने की कोशिश करता रहा।’