Tuesday, November 05, 2024
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ऐसा हुआ तो चुनावों में अंधाधुंध खर्च नहीं कर पाएंगी पार्टियां, जानिए निर्वाचन आयोग की क्या है प्लानिंग

मुख्य चुनाव आयुक्त ओ पी रावत ने कहा कि चुनावों में प्रचार अभियान के लिए पार्टी की खर्च सीमा तय करने की बात आने वाले वक्त में साकार होगी।

Written by: Bhasha
Updated on: November 30, 2018 20:34 IST
मुख्य चुनाव आयुक्त ओ...- India TV Hindi
Image Source : PTI मुख्य चुनाव आयुक्त ओ पी रावत

नई दिल्ली: मुख्य चुनाव आयुक्त ओ पी रावत ने कहा कि चुनावों में प्रचार अभियान के लिए पार्टी की खर्च सीमा तय करने की बात आने वाले वक्त में साकार होगी। निर्वाचन आयोग इसके लिए राजनीतिक दलों और सरकार पर जोर दे रहा है। शनिवार को सेवानिवृत्त हो रहे रावत ने कहा, चुनाव आयोग के प्रमुख के तौर पर उन्हें एक मात्र ‘‘अफसोस’’ इस बात का है कि वो विधि मंत्रालय को सोशल मीडिया और धन के इस्तेमाल के संदर्भ में बदलते वक्त के मुताबिक नए ‘‘कानूनी कार्यढांचे’’ की सिफारिश नहीं कर पाए। 

सुनील अरोड़ा रविवार को नए मुख्य चुनाव आयुक्त के तौर पर पदभार ग्रहण करेंगे। राजनीतिक दलों को चंदे में पारदर्शिता के एक सवाल का जवाब देते हुए रावत ने कहा कि ये ‘‘एक दीर्घकालिक सुधार है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘...अगस्त में (इस साल) सर्वदलीय बैठक में ये सिफारिश की गई थी कि पार्टियों के खर्च की अधिकतम सीमा होनी चाहिए और इसी के अनुरूप चंदे में पारदर्शिता भी होनी चाहिए। मुझे लगता है कि आने वाले समय में ये साकार होगा।’’ 

उन्होंने कहा कि लगभग सभी दल खर्च की सीमा तय करने पर सहमत थे। चुनाव निगरानीकर्ता राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों द्वारा चुनावी खर्च में व्यापक पारदर्शिता के लिए प्रयास कर रहा है। निर्वाचन आयोग के मुताबिक निर्दलीय की तरह चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों के खर्च की भी सीमा होनी चाहिए। आयोग ने विधायी कार्रवाई के लिए ये मामला विधि मंत्रालय को संदर्भित किया है। 

फिलहाल, चुनाव लड़ रहे निर्दलीय उम्मीदवार के लिए प्रचार खर्च की सीमा तय है लेकिन चुनाव के लिए राजनीतिक दल कितना खर्च कर सकते हैं इसकी कोई सीमा नहीं है। ये अधिकतम सीमा राज्य दर राज्य अलग होती है जो उसकी जनसंख्या और विधानसभा या लोकसभा सीटों की संख्या पर निर्भर करता है। 

सीईसी रहते हुए ‘सबसे बड़े अफसोस’ के बारे में पूछे जाने पर रावत ने कहा कि वक्त तेजी से बदल रहा है और चुनाव में धन और सोशल मीडिया अहम भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आयोग चाहता है कि कानूनी कार्यढांचे को ‘‘मौजूदा स्थितियों और भविष्य की जरूरतों के अनुरूप बनाने के मद्देनजर’’ उसकी व्यापक समीक्षा की जाए। 

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए एक समिति गठित की गई थी जिसने कानून की समीक्षा की और सिफारिशें कीं। लेकिन, आयोग को इन पर ध्यान केंद्रित करने और विधि मंत्रालय को सिफारिश करने का समय नहीं मिला। मुझे इसी बात का अफसोस है।’’

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