नयी दिल्ली। श्रम पर संसद की स्थायी समिति ने शुक्रवार को लोकसभा अध्यक्ष को सामाजिक सुरक्षा संहिता पर अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपी, जो श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा से संबंधित नौ कानूनों की जगह लेगी। समिति ने बेरोजगारी बीमा और ग्रेच्युटी पाने के लिए लगातार काम करने की अवधि को पांच साल से कम करके एक साल करने की सिफारिश की है। इसके अलावा संहिता में सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को चलाने के लिए उनके वित्त पोषण के स्रोत को भी स्पष्ट करने के लिए कहा है।
श्रम पर संसद की स्थाई समिति के अध्यक्ष भर्तृहरि महताब ने बताया, 'हमने सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2019 पर अपनी अंतिम रिपोर्ट आज ईमेल के जरिए लोकसभा अध्यक्ष को सौंप दी।' रिपोर्ट के अनुसार समिति ने 29 जुलाई, 2020 को हुई बैठने के दौरान इस रिपोर्ट पर विचार किया और इसे अपनाया। रिपोर्ट के अनुसार समिति ने श्रम मंत्रालय से अनुरोध किया है कि वह संहिता के साथ रोजगार कार्यालयों (रिक्तियों की अनिवार्य अधिसूचना) अधिनियम, 1959 के प्रस्तावित विलय पर फिर से विचार करे।
इसमें कहा गया, 'कानून रोजगार कार्यालयों में रिक्तियों की सूचना देने के लिए है' और यह किसी भी रूप में सामाजिक सुरक्षा के विषय से जुड़ा नहीं है। समिति ने राय जाहिर की कि सिर्फ कानूनों की संख्या घटाने के लिए, कोई कानून अगर संहिता की विषय-वस्तु से मेल नहीं खाता है तो उसे अतार्किक रूप से इसके साथ नहीं जोड़ना चाहिए।