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किसान आंदोलन पर आया पाकिस्तान का भी बयान, जानें क्या कहा

लाठी-डंडे, राष्ट्रीय ध्वज एवं किसान यूनियनों के झंडे लिये हजारों किसान मंगलवार को गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टरों पर सवार हो बैरियरों को तोड़ व पुलिस से भिड़ते हुए लालकिले की घेराबंदी के लिए विभिन्न सीमा बिंदुओें से राष्ट्रीय राजधानी में दाखिल हुए।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: January 26, 2021 18:48 IST
Pakistan on Farmers Protest tractor rally violence latest news- India TV Hindi
Image Source : PTI अपनी आदतों से मजबूर पाकिस्तान ने भी कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को लेकर टिप्पणी की है। 

नई दिल्ली: लाठी-डंडे, राष्ट्रीय ध्वज एवं किसान यूनियनों के झंडे लिये हजारों किसान मंगलवार को गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टरों पर सवार हो बैरियरों को तोड़ व पुलिस से भिड़ते हुए लालकिले की घेराबंदी के लिए विभिन्न सीमा बिंदुओें से राष्ट्रीय राजधानी में दाखिल हुए। लालकिले में किसान ध्वज-स्तंभ पर भी चढ़ गए। वहीं, अपनी आदतों से मजबूर पाकिस्तान ने भी कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को लेकर टिप्पणी की है। 

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने मंगलवार को को एक बयान में कहा कि भारत सरकार आंदोलनरत किसानों की आवाज को दबाने में नाकाम रही है और अब पूरा भारत किसानों के साथ खड़ा है। पाकिस्तान के विज्ञान एवं तकनीक मंत्री फवाद चौधरी ने मंगलवार को एक ट्वीट में कहा कि दुनिया को भारत की दमनकारी सरकार के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। 

कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर पिछले दो महीने से राष्ट्रीय राजधानी की सीमा पर विरोध प्रदर्शनों की अगुवाई करने वाले किसान नेताओं ने इन प्रदर्शनकारियों से खुद को अलग कर लिया है। एक युवक को लालकिले में ध्वज-स्तंभ पर एक त्रिकोण आकार का पीले रंग का झंडा फहराते देखा गया। इसी पर देश के स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान झंडा फहराया जाता है। हालांकि बाद में प्रदर्शनकारियों को लाल किले के परिसर से हटा दिया गया।

किसानों को गणतंत्र दिवस परेड के आयोजन के बाद तय मार्ग पर ट्रैक्टर परेड़ की अनुमति दी गई थी, लेकिन इन शर्तों का उल्लघंन हुआ। कई स्थानों पर प्रदर्शनकारियों और पुलिसकर्मियों के बीच झड़प हुई और लाठीचार्ज किया गया। प्रदर्शनकारियों के इन समूहों में अनेक युवा थे जो मुखर और आक्रामक थे। पुलिस ने कुछ जगहों पर अशांत भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े। 

वहीं आईटीओ पर सैकड़ों किसान पुलिसकर्मियों का लाठियां लेकर दौड़ाते और खड़ी बसों को अपने ट्रैक्टरों से टक्कर मारते दिखे। एक ट्रैक्टर के पलट जाने से एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई। आईटीओ एक संघर्षक्षेत्र की तरह दिख रहा था जहां गुस्साये प्रदर्शनकारी एक कार को क्षतिग्रस्त करते दिखे। सड़कों पर ईंट और पत्थर बिखरे पड़े थे। यह इस बात का गवाह था कि जो किसान आंदोलन दो महीने से शांतिपूर्ण चल रहा था अब वह शांतिपूर्ण नहीं रहा।

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