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पाकिस्तान ने 'खालिस्तान रेफरेंडम टीम 2020' के पंजीकरण पर लगाया प्रतिबंध

प्रो-खालिस्तान समूह 'सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे)' ने दावा किया है कि पाकिस्तान सरकार ने नरेंद्र मोदी सरकार के इशारे पर अपनी धरती पर 'खालिस्तान रेफरेंडम टीम 2020' के पंजीकरण पर प्रतिबंध लगा दिया है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: April 15, 2019 16:59 IST
Pakistan has banned pro-Khalistan campaign: SFJ- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO File Photo

पंजाब: प्रो-खालिस्तान समूह 'सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे)' ने दावा किया है कि पाकिस्तान सरकार ने नरेंद्र मोदी सरकार के इशारे पर अपनी धरती पर 'खालिस्तान रेफरेंडम टीम 2020' के पंजीकरण पर प्रतिबंध लगा दिया है। एसएफजे के कानूनी सलाहकार गुरपतवंत सिंह पन्नून ने सोमवार को दावा किया कि पाकिस्तान में अधिकारियों ने समूह के कार्यकर्ताओं को हसन अब्दुल के गुरुद्वारा पांजा साहिब में खालिस्तान जनमत संग्रह अभियान के पोस्टर और बैनर लगाने से रोक दिया था, जहां भारत के हजारों सिख खालसा सजना दिवस के 320 वें साल का जश्न मनाने के लिए जा रहे थे।

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के तत्वावधान में 389 भारतीय भक्तों का एक 'जत्था' 21 अप्रैल तक बैसाखी के अवसर पर वहां के विभिन्न गुरुद्वारों में प्रार्थना करने के लिए पाकिस्तान के दौरे पर हैं। एसएफजे ने भारतीय तीर्थयात्रियों की आपत्ति पर उनकी यात्रा के दौरान पिछले साल पाकिस्तान में सिख तीर्थ स्थलों पर अपनी अलगाववादी गतिविधियों के होर्डिंग्स और बैनर लगाए थे।

"प्रो-खालिस्तान कार्यकर्ताओं को आधिकारिक तौर पर पाकिस्तान सरकार की ओर से पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के अध्यक्ष का पंजीकरण शुरू करने के लिए आमंत्रित किया गया था। उसके बाद उत्तरी अमेरिका और यूरोप के खालिस्तान कार्यकर्ताओं, जो अप्रैल के पहले सप्ताह में पाकिस्तान पहुंचे थे उनको गुरूद्वारा पांजा साहिब में खालिस्तान के समर्थन में पोस्टर लगाने की अनुमति नहीं दी गई थी। पन्नून ने एसएफजे न्यूयॉर्क मुख्यालय से जारी एक आधिकारिक बयान में कहा, "गुरुद्वारा पांजा साहिब में खालिस्तान के बैनर और रेफरेंडम 2020 के लिए स्वयंसेवकों को पंजीकृत करने की निर्धारित योजना को रोकने के लिए मजबूर किया गया।"

पन्नून ने कहा कि “प्रधानमंत्री इमरान खान और (पाकिस्तान) सेना प्रमुख (क़मर जावेद) बाजवा, जो भ्रामक रूप से सिख समुदाय के मसीहा होने का दावा करते रहे हैं, ने भारत के सिख तीर्थयात्रियों की यात्रा के दौरान पांजा साहिब में कार्यक्रम SFJ के 'खालिस्तान रेफरेंडम टीम 2020’ पंजीकरण पर प्रतिबंध लगाने के लिए मोदी सरकार के तानाशाही दबाव के आगे घुटने टेक दिए हैं।

आपको बता दें कि एसएफजे एक अलगाववादी समूह है जो एक अलग सिख मातृभूमि - खालिस्तान की मांग कर रहा है। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने एसएफजे की आलोचना करते हुए कहा कि यह "आईएसआई द्वारा पाकिस्तान की सेना द्वारा रची गई एक व्यक्ति सेना" है।

पन्नून ने कहा कि "पाकिस्तान सेना और आईएसआई ने वैश्विक सिख समुदाय को अलग-थलग करने का मार्ग प्रशस्त किया है, जिन्होंने भारत के युद्ध की धमकी के दौरान पाकिस्तान का लगातार समर्थन किया है।" यह दोहराते हुए कि 'पंजाब इंडिपेंडेंस रेफरेंडम 2020' "मतपत्र के माध्यम से आत्मनिर्णय के अधिकार के लिए एक लोकतांत्रिक अभियान है", उन्होंने दावा किया कि एसएफजे का वैश्विक शांतिपूर्ण आंदोलन पाकिस्तान सरकार द्वारा कम किया जा रहा है।

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