श्रीनगर: भारतीय सेना के हाथों बार-बार मुंह की खाने के बाद भी पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। अब पाकिस्तान सेना सीमा से सटे रिहायशी इलाकों में घरों और मस्जिदों को निशाना बनाने लगी है। बुधवार को पाकिस्तानी सेना ने तंगधार सेक्टर में LoC के पास मस्जिदों और घरों को निशाना बनाते हुए सीजफायर का उल्लंघन किया।
भारतीय सेना ने इसकी जानकारी दी। भारतीय सेना ने बताया कि बुधवार की शाम को पाकिस्तान ने सीजफायर का उल्लंघन करते हुए जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के तंगधार सेक्टर में विशेष रूप से मस्जिदों और घरों को निशाना बनाया। हालांकि, भारतीय सेना ने पाकिस्तान की इस नापाक हरकत का करारा जवाब दिया।
गौरतलब है कि पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में 2020 में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर संघर्ष विराम उल्लंघन की 5,100 घटनाओं को अंजाम दिया जिनमें 36 लोगों की जान चली गयी और 130 से ज्यादा लोग घायल हो गये। सुरक्षा अधिकारियों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि पिछले करीब 18 साल में संघर्ष विराम उल्लंघन के सर्वाधिक मामले इस साल आये हैं।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सैनिकों की ओर से बहुत भारी गोलाबारी और गोलीबारी ने 2003 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए सीमा संघर्ष विराम समझौते को एक तरह से बेकार कर दिया है।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘पाकिस्तानी सैनिकों ने लोगों के बीच डर पैदा करने और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति को बाधित करने की मंशा से बार-बार एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) पर स्थित अग्रिम चौकियों तथा गांवों को निशाना बनाया।’’
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘पाकिस्तानी बलों ने 2020 में 5,100 बार संघर्ष विराम का उल्लंघन किया यानी औसतन रोजाना 14 मामले सामने आये।’’ आंकड़ों के अनुसार संघर्ष विराम उल्लंघन की इन घटनाओं में 24 सुरक्षाकर्मी समेत 36 लोग मारे गये और 130 लोग घायल हो गये। जम्मू क्षेत्र में एलओसी पर इनमें से 15 सैनिक मारे गये।
अधिकारियों के अनुसार पाकिस्तानी सेना ने 2019 में भारत-पाक सीमा पर 3,289 बार संघर्ष विराम उल्लंघन किया। इनमें से 1,565 मामले अगस्त 2019 के बाद सामने आये। भारत सरकार ने अगस्त महीने में ही अनुच्छेद 370 को समाप्त किया था। जम्मू कश्मीर में 2018 में संघर्ष विराम उल्लंघन के 2,936 मामले दर्ज किये गये।
इस साल संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाओं की संख्या 2017 की घटनाओं से पांच गुना अधिक है। उस साल 971 ऐसे मामले सामने आये थे जिनमें 31 लोगों की जान चली गयी थी और 151 घायल हो गये थे। संघर्ष विराम लागू होने से पहले 2002 में पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा गोलाबारी और गोलीबारी की 8,376 घटनाएं सामने आईं।