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जमानत के बावजूद जेल में बंद विचाराधीन कैदियों को देख दुख होता है: दिल्ली हाई कोर्ट

दिल्ली हाई कोर्ट का कहना है कि वह जमानत मिलने के बावजूद गरीबी की वजह से मुचलका या जमानत राशि नहीं भर पाने के कारण तिहाड़ जेल में बंद विचाराधीन कैदियों को देखकर बेहद ‘दुखी’ है...

Reported by: Bhasha
Published : December 17, 2017 12:38 IST
Representational Image | PTI Photo
Representational Image | PTI Photo

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट का कहना है कि वह जमानत मिलने के बावजूद गरीबी की वजह से मुचलका या जमानत राशि नहीं भर पाने के कारण तिहाड़ जेल में बंद विचाराधीन कैदियों को देखकर बेहद ‘दुखी’ है। अदालत ने ऐसे बंदियों को राहत पहुंचाने के लक्ष्य से निचली अदालतों के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किए। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने विभिन्न फैसलों में कहा है कि गंभीर अपराध करने वाले कैदियों के मौलिक अधिकारों को भी किसी सूरत में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

अदालत ने कहा कि विधि आयोग ने भी जमानत शर्तों को पूरा नहीं कर पाने के कारण जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों से हो सकने वाले खतरों का आकलन करने को कहा है, ताकि उन्हें रिहा किया जा सके। वकील अजय वर्मा की ओर से अदालत में दायर जनहित याचिका में जमानत के बावजूद तिहाड़ जेल में सैकड़ों बंदियों के निरूद्ध होने की बात कहे जाने के बाद अदालत ने उक्त निर्देश दिए हैं।

पीठ ने कहा, ‘हमें इस बात का बहुत दुख है कि इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्पष्ट रूप से तय कानून और वैधानिक प्रावधानों तथा विधि आयोग की सिफारिशों के बावजूद 253 विचाराधीन कैदी जमानत मिलने के बावजूद तिहाड़ जेल में बंद हैं, और इसी वजह से यह आदेश देना पड़ा है।’ अदालत ने निचली अदालतों को निर्देश दिया है कि वह ऐसे मामलों में ज्यादा संवेदनशील और सतर्क रहें कि इन विचाराधीन कैदियों को जमानत पर रिहा क्यों नहीं किया जा सकता है।

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