नयी दिल्ली: अधिकांश लोगों की धारणा है कि देश में ज्यादातर सड़क हादसे खराब मौसम, भारी बारिश और कोहरा के कारण होते हैं, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय सड़कों पर सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं दिन के उजाले में यानी खिलखिलाती धूप वाले दिनों में हुई। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से 2017 में सड़क हादसों पर जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 में हुए करीब 4.7 लाख सड़क हादसों में से 3.4 लाख हादसे खिली धूप वाले दिनों में हुए। भारी बारिश, कोहरे या धुंध और ओलावृष्टि जैसी विपरित मौसमी परिस्थितियों में होने वाली सड़क दुर्घटना की कुल संख्या में हिस्सेदारी मात्र 16 प्रतिशत है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बारिश, कोहरा और ओलावृष्टि जैसी परिस्थितियों में वाहन चलाने में दिक्कत आती है क्योंकि सड़क फिसलन लगती है और दृष्यता कम हो जाती है। हालांकि, 2017 के सड़क हादसे के आंकड़े दर्शाते हैं कि तीन-चौथाई दुर्घटनाएं साफ मौसम या खिली धूप वाले दिनों में हुईं। पिछले साल 4.70 लाख सड़क हादसों में 1.47 लाख लोगों ने अपनी जान गंवाई।
आंकड़ों के मुताबिक, 2017 में भारत के कुल सड़क हादसों में खिली धूप में हुए हादसों की हिस्सेदारी 73.3 प्रतिशत यानी 3.40 लाख है। वहीं, सड़क हादसों के दौरान कुल 1,47,913 लोगों की मौत हुई, जिसमें 1.02 लाख लोग धूप वाले दिनों में मारे गये। बरसात के दिनों में पिछले साल कुल 44,010 सड़क हादसे हुए। यह कुल सड़क दुर्घटनाओं का सिर्फ 9.5 प्रतिशत है। यह सड़क हादसों में हुई मौतों की संख्या का 8.9 प्रतिशत (13,142) है। धुंध के दौरान कुल 26,982 हादसे हुए और ओलावृष्टि के कारण 3,078 सड़क हादसे हुए।
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