नयी दिल्ली। कनाडा, मैक्सिको, नाइजीरिया और पनामा सहित करीब 50 देशों ने अपने टीकाकरण अभियान के लिए कोविन जैसी प्रणाली में दिलचस्पी दिखायी है और भारत ‘ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर’ मुफ्त में साझा करने के लिए तैयार है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी। कोविड-19 टीका अभियान के लिए अधिकार प्राप्त समूह के अध्यक्ष डॉ आर एस शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अधिकारियों को सॉफ्टवेयर का एक ‘ओपन सोर्स’ संस्करण तैयार करने और इसमें रुचि दिखाने वाले किसी भी देश को मुफ्त मुहैया कराने का निर्देश दिया है।
शर्मा ने कहा, ‘‘कोविन मंच इतना लोकप्रिय हो गया है कि मध्य एशिया, लातिनी अमेरिका, अफ्रीका के करीब 50 देशों ने कोविन जैसी प्रणाली में रुचि दिखाई है।’’ वह दूसरे लोक स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन 2021 को संबोधित कर रहे थे। इसका आयोजन भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने किया था। उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया भर के स्वास्थ्य और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों का एक वैश्विक सम्मेलन पांच जुलाई को डिजिटल तरीके से आयोजित किया जाएगा और उस कार्यक्रम में भारत साझा करेगा कि यह प्रणाली किस प्रकार काम करती है।
शर्मा ने कहा, ‘‘हम विश्व को बता रहे हैं कि यह प्रणाली कैसे काम कर सकती है और हम किसी भी देश के साथ ‘ओपन सोर्स’ सॉफ्टवेयर मुफ्त में साझा करने के लिए किस प्रकार तैयार हैं। कनाडा, मैक्सिको, पनामा, पेरू, अजरबैजान, यूक्रेन, नाइजीरिया, युगांडा आदि देशों ने काफी रुचि दिखायी है।’’ सूत्रों ने बताया कि वियतनाम, इराक, डोमिनिकन गणराज्य, संयुक्त अरब अमीरात जैसे अन्य देशों ने भी अपने यहां कोविड कार्यक्रम चलाने के लिए कोविन मंच के बारे में दिलचस्पी दिखायी है।
शर्मा ने कहा कि पांच महीनों में कोविन 30 करोड़ से अधिक पंजीकरण और टीकाकरण को संभालने लायक हो गया है। उन्होंने कहा, "यह एक नागरिक केंद्रित मंच है और जिला स्तर तक सच्चाई का एक स्रोत मुहैया कराता है। शुरुआत से, यह सुनिश्चित किया गया था कि इस मंच का उपयोग कार्यक्रम तय करने, उसे फिर से निर्धारित करने या उन्हें रद्द करने के लिए किया जा सके।" शर्मा ने कहा कि 1.3 अरब लोगों का टीकाकरण कोई "मामूली काम" नहीं है। उन्होंने कहा कि कोविन जैसे मंच का विकास दिखाता है कि भारत में इस तरह की बड़ी डिजिटल प्रणाली विकसित करने की क्षमता है।
दिल्ली एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि महामारी ने स्वास्थ्य संबंधी पूरी व्यवस्था और सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को बाधित कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘अब हमें आगे देखने और अपनी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत बनाने की आवश्यकता है। हमें भविष्य में ऐसी महामारी के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है। हमारा मूल उद्देश्य दूरदराज के क्षेत्रों में समान पहुंच है। स्वास्थ्य को ‘जीडीपी’ के प्रतिशत के रूप में देखना महत्वपूर्ण है। स्वास्थ्य राज्य का विषय है लेकिन अभी राज्यों के बीच समन्वय की कमी है।’’