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देश की अदालतों में 2 लाख से अधिक मामले 25 साल से लंबित: प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने मामलों के लंबित रहने पर चिंता व्यक्त करते हुए रविवार को कहा कि देश की अदालतों में दो लाख से अधिक मामले 25 साल से लंबित हैं, जबकि एक हजार से अधिक मामलों का निपटारा 50 साल बाद भी नहीं हो पाया है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: August 04, 2019 21:11 IST
Over 2 lakh cases pending in courts for 25 years: CJI Ranjan Gogoi- India TV Hindi
Over 2 lakh cases pending in courts for 25 years: CJI Ranjan Gogoi

गुवाहाटी: प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने मामलों के लंबित रहने पर चिंता व्यक्त करते हुए रविवार को कहा कि देश की अदालतों में दो लाख से अधिक मामले 25 साल से लंबित हैं, जबकि एक हजार से अधिक मामलों का निपटारा 50 साल बाद भी नहीं हो पाया है। न्यायमूर्ति गोगोई ने यहां एक समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि बड़ी संख्या में मामलों के लंबित होने को लेकर यद्यपि न्यायपालिका को आलोचना का सामना करना पड़ता है, लेकिन विलंब के लिए केवल न्यायपालिका ही पूरी तरह जिम्मेदार नहीं है, बल्कि न्याय प्रदान करने वाली व्यवस्था में कार्यपालिका की भी कुछ जिम्मेदारी बनती है। 

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उन्होंने कहा कि भारत में एक हजार से अधिक मामले 50 साल से और दो लाख से अधिक मामले 25 साल से लंबित हैं। उन्होंने कहा कि करीब 90 लाख लंबित दीवानी मामलों में से 20 लाख से अधिक ऐेसे मामले हैं जिनमें अभी तक सम्मन तक तामील नहीं हुआ है। न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा, ‘‘देश में दीवानी मामलों का यह करीब 23 प्रतिशत है। फौजदारी मामलों में आंकड़ा अत्यंत खराब है। 

2.10 करोड़ लंबित फौजदारी मामलों में से सम्मन के स्तर पर लंबित मामलों की संख्या एक करोड़ से अधिक है।’’ प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यदि सम्मन तामील नहीं हुए हैं तो मेरे न्यायाधीश किस तरह मुकदमा शुरू कर सकते हैं? यह कार्यपालिका से मेरा सवाल है। सम्मन तामील कराना पूरी तरह कार्यपालिका पर निर्भर है।’’ उन्होंने कहा कि फौजदारी के कुल लंबित मामलों में से करीब 45 लाख छोटे-मोटे अपराधों के हैं। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि उन्होंने 10 जुलाई को विभिन्न उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को संबोधित किया था और उनसे 50 साल तथा 25 साल पुराने मामलों को निपटाने का आग्रह किया था। 

उन्होंने गुवाहाटी उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश अरूप कुमार गोस्वामी को असम में लंबित इस तरह के मामलों को जल्द से जल्द निपटाने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति गोगोई ने यह उम्मीद भी जताई कि केंद्र उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की उम्र को 62 साल से बढ़ाकर 65 साल करने के उनके प्रस्ताव को स्वीकार करेगा। न्यायमूर्ति ने कहा, ‘‘तात्कालिक परिणाम के रूप में, सेवानिवृत्ति की आयु तीन साल के लिए बढ़ जाएगी। इन तीन वर्षों में हम 403 रिक्तियों को अच्छे न्यायाधीशों से भर सकते हैं। यह मेरा सपना है। यह काम मेरे उत्तराधिकारी प्रधान न्यायाधीश द्वारा किया जाना चाहिए और मुझे नहीं लगता कि वह भारतीय न्यायपालिका का चेहरा क्यों नहीं बदल सकते।’’ 

प्रधान न्यायाधीश ने निचली अदालतों के मुद्दे पर कहा कि 6,000 में 4,000 रिक्त पदों को पहले ही भरा जा चुका है तथा 1,500 और रिक्तियों को इस साल के अंत तक भर दिया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक उच्च न्यायालयों का संबंध है तो देशभर में 1,079 पदों में से 403 खाली हैं। मैंने (उच्च न्यायालयों के) मुख्य न्यायाधीशों से कहा है कि वे अपनी सिफारिशें भेजें अच्छी सिफारिशें करें।’’ न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा कि असम तथा अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में ऐसा कोई मामला नहीं है जो 50 साल से लंबित हो, लेकिन ऐसे 106 मामले हैं जो 25 साल से लंबित हैं।

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