नयी दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि सोमवार को कोविड-19 वैक्सीन की 58 लाख खुराक दिये जाने के साथ देश में अब तक 102.8 करोड़ से अधिक खुराक दी जा चुकी हैं। मंत्रालय ने कहा कि देर रात तक अंतिम रिपोर्ट का संकलन होने पर प्रतिदिन के वैक्सीनेशन की संख्या बढ़ने की उम्मीद है। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक वैक्सीनेशन अभियान के तीसरे चरण की शुरूआत होने के बाद से 18-44 वर्ष आयु समूह में, 40,92,47,732 पहली खुराक और 12,86,74,750 दूसरी खुराक दी गई है। मंत्रालय ने कहा कि अब तक कुल 71,88,31,679 पहली खुराक और 30,98,37,374 दूसरी खुराक दी गई है। इसने कहा कि कोविड-19 वैक्सीनेशन कवरेज सोमवार को 102.8 करोड़ (1,02,86,69,053) को पार कर गया।
इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने वह याचिका खारिज कर दी जिसमें अनुरोध किया गया था कि कोविशील्ड और कोवैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल के सभी चरण समाप्त होने तक बड़े पैमाने पर कोविड-19 वैक्सीनेशन बंद कर दें। कोर्ट ने कहा कि लोगों की सुरक्षा के लिए यह महत्वपूर्ण है और उसपर कोई सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति धनंजय वाई. चन्द्रचूड़ और बी. वी. नागरत्न की पीठ ने पूर्व सैनिक मैथ्यू थॉमस की याचिका खारिज करने संबंधी कर्नाटक हाईकोर्ट के 26 मई के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया।
पीठ ने कहा, ‘‘हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करके सही किया। वैक्सीनेशन अभियान पर संदेह पैदा ना करें। यह लोगों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। हम इस याचिका पर बिलकुल दलीलें नहीं चाहते हैं। इस अपील पर नोटिस जारी करना भी बहुत गलत होगा।’’ पीठ ने आगे कहा कि महामारी के दौरान देश बहुत संवेदनशील स्थिति से गुजरा है और भारत इकलौता देश नहीं है जहां वैक्सीनेशन अभियान चल रहा हो।
पीठ ने आदेश में कहा, ‘‘हम भारत के संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत विशेष अनुमति याचिका को स्वीकार करने के इच्छुक नहीं है। इसलिए विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है।’’ याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता नितिन एएम ने अपनी दलीलों में कहा कि क्लिनिकल ट्रायल के बगैर बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन की अनुमति देना नियमों का उल्लंघन है और कोविशील्ड तथा कोवैक्सीन वैक्सीन नुकसानदेह और गैरकानूनी है।