Saturday, November 23, 2024
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राजस्थान- जोधपुर के दो अस्पतालों में 100 से अधिक नवजातों की मौत: रिपोर्ट

कोटा स्थित जे के लोन अस्पताल में बच्चों की मौत के मद्देनजर एसएन मेडिकल कॉलेज द्वारा तैयार रिपोर्ट में जोधपुर में नवजात शिशुओं की मौत का आंकड़ा दिया गया है। कोटा के सरकारी अस्पताल में 100 से अधिक नवजात शिशुओं की मौत हुई है।

Reported by: Bhasha
Published on: January 05, 2020 15:32 IST
Infant- India TV Hindi
Image Source : PTI प्रतिकात्मक तस्वीर

जोधपुर। राजस्थान के कोटा के अस्पताल में नवजात शिशुओं की मौत को लेकर जारी घमासान के बीच एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि पिछले साल दिसंबर में जोधपुर के दो अस्पतालों में 100 से अधिक नवजात शिशुओं की मौत हो गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि दिसंबर में उमैद और एमडीएम अस्पतालों में 146 बच्चों की मौत हुई जिनमें से 102 शिशुओं की मौत नवजात गहन चिकित्सा इकाई में हुई।

कोटा स्थित जे के लोन अस्पताल में बच्चों की मौत के मद्देनजर एसएन मेडिकल कॉलेज द्वारा तैयार रिपोर्ट में जोधपुर में नवजात शिशुओं की मौत का आंकड़ा दिया गया है। कोटा के सरकारी अस्पताल में 100 से अधिक नवजात शिशुओं की मौत हुई है।

हालांकि एस एन मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य एस एस राठौड़ ने कहा कि यह आंकड़ा शिशु मृत्युदर के अंतरराष्ट्रीय मानकों के दायरे में आता है। राठौड़ ने बताया, ‘‘कुल 47,815 बच्चों को 2019 में अस्पताल में भर्ती कराया गया था और इनमें से 754 बच्चों की मौत हुई।’’

दिसंबर में 4,689 बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था जिनमें से 3,002 बच्चों को एनआईसीयू और आईसीयू में भर्ती किया गया था और इनमें से 146 बच्चों की मौत हुई थी। राठौड़ ने बताया कि मरने वाले बच्चों में से अधिकतर वैसे बच्चे थे जिन्हें जिले के अन्य जगहों से गंभीर हालत में रेफर किया गया था। राठौड़ ने बताया, ‘‘ये अस्पताल समूचे पश्चिम राजस्थान से आए मरीजों को देखते हैं और एम्स जैसे अस्पतालों से भी यहां बच्चों को रेफर किया जाता है।’’

उन्होंने बताया कि अपनी बेहतर चिकित्सा एवं देखभाल व्यवस्था की वजह से अस्पताल की गहन देखभाल इकाई लगातार दो वर्ष समूचे राज्य में सबसे अच्छी मानी गई। राठौड़ ने अस्पताल में ‘‘दबाव’’ से निपटने के लिए संसाधन की कमी से इनकार किया हालांकि ऐसी खबरें हैं कि कई वरिष्ठ डॉक्टर अपना निजी अस्पताल चलाते हैं। हाल में उन डॉक्टरों को नोटिस जारी किया गया। इनमें वो डॉक्टर भी शामिल हैं जो अपने आवास पर मेडिकल दुकानें चलाते हैं।

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