चेन्नई: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास में 100 से अधिक लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं, जिनमें से अधिकतर छात्र हैं। तमिलनाडु के स्वास्थ्य सचिव जे. राधाकृष्णन ने बताया कि कुल 104 छात्र और अन्य संक्रमित पाए गए हैं और सभी अस्पताल में भर्ती हैं एवं उनकी हालत स्थिर है। उन्होंने बताया कि 444 नमूनों की अभी तक जांच की गई, जिनमें से 104 संक्रमित पाए गए। एक से 12 दिसम्बर के बीच संस्थान में संक्रमित पाए जाने वालों की संख्या में वृद्धि हुई है।
राधाकृष्णन ने पत्रकारों से कहा, ‘‘मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी के निर्देशानुसार इन सभी का किंग्स इंस्टीट्यूट ऑफ प्रीवेंटिव मेडिसिन एंड रिसर्च में इलाज चल रहा है और उन सभी की हालत स्थिर है।’’ संस्थान की एक प्रवक्ता ने बताया कि सभी विभाग और प्रयोगशालाएं बंद कर दी गई हैं और अभी केवल 700 छात्र जिनमें अधिकतर शोधार्थी हैं, नौ छात्रावास में रह रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कक्षाएं ऑनलाइन ली जा रही हैं।’’
कैंपस में अस्थायी लॉकडाउन लगा दिया गया है। स्वास्थ अधिकारियों के मुताबिक आगे आने वाले दिनों में यह संख्या और भी बढ़ सकती है। तमिलनाडु सरकार ने कैंपस में मौजूद सभी छात्रों का कोरोना टेस्ट कराने के निर्देश दिए हैं। आईआईटी मद्रास ने रविवार को आधिकारिक बयान जारी करते हुए बताया कि सभी विभागों को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया है।
कुछ छात्रों ने कैंपस प्रशासन पर लापरवाही बरतने के आरोप लगाए हैं। छात्रों का आरोप है कि कैंपस में केवल एक ही मेस चालू है। छात्रों से हॉस्टल खाली कराए जा रहे हैं। कोरोना कैसे फैला, इसका तो पता नहीं लेकिन दिन में सैकड़ों की तादाद में छात्रों को कैंपस में घूमने की अनुमति है। यही संक्रमण की वजह हो सकती है।
बता दें कि कोरोना वायरस को देखते हुए एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर बनाया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कितने लोग एक साथ सुरक्षित तरीके से काम कर सकते हैं। जो रिसर्च स्कॉलर वापस आना चाहते थे उन्हें आने की इजाज़त दे दी गई थी। हालांकि, उन्हें तुरंत हॉस्टल में प्रवेश नहीं दिया गया था बल्कि उनकी बारी आने तक उन्हें प्रोजेक्ट स्टाफ की तरह बाहर ही रखा गया।