कोयंबटूर: तमिलनाडु के गांवों में सांपों के डसने से हर साल कम से कम 10,000 लोगों की मौत हो जाती है। ब्रिटेन स्थित ‘यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग’ के एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है। विश्वविद्यालय ने यह पता लगाने के लिए राज्य के ग्रामीण इलाकों में 30,000 घरों का सर्वेक्षण किया कि सांपों के डसने की कितनी घटनाएं होती हैं और इन घटनाओं के स्वास्थ्य पर और सामाजिक-आर्थिक प्रभाव क्या हैं।
विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर शक्तिवेल वाइयापुरी ने यहां शनिवार को संवाददाताओं को बताया कि अध्ययन में यह बात सामने आई कि जिन लोगों को सर्वेक्षण में शामिल किया गया, उनमें से चार प्रतिशत लोग सर्पदंश के शिकार हुए हैं और इसके शिकार मुख्य रूप से कृषि श्रमिक होते हैं। जिन लोगों को सांप ने डसा, उनमें से 79 प्रतिशत लोग खेतों में थे और करीब 72 प्रतिशत लोग उस समय काम कर रहे थे। उन्होंने बताया कि इसके अलावा 19 प्रतिशत लोगों को सांप ने उस समय डसा, जब वे अपने घर के पास थे।
सांपों ने अधिकतर लोगों (करीब 82 प्रतिशत लोगों) को पैरों में डसा। वाइयापुरी ने कहा कि इसका उपचार की कीमत, कामकाजी दिनों का नुकसान, आमदनी का नुकसान, स्वास्थ्य पर दीर्घकालीन प्रभाव, शारीरिक अक्षमता एवं काम करने की क्षमता के संदर्भ में बड़ा सामाजिक-आर्थिक प्रभाव है। उन्होंने कहा कि सरकार को सर्पदंश को बारे में जागरुकता फैसले के लिए मुहिम चलानी चाहिए और इसके उपचार के लिए मेडिकल पॉलिसी योजनाओं के जरिए पूरा कवर मुहैया कराना चाहिए।