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बीजेपी के ताइवान 'प्रेम' से तिलमिलाया चीन, राजनयिक ने दर्ज कराई लिखित आपत्ति

ताइवान की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को सत्तारूढ़ बीजेपी द्वारा समर्थन देने से चीन तिलमिला गया है। तिलमिलाए कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के शासन ने भारत से अपने 'आंतरिक' मामलों में दखल से बचने को कहा है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : May 26, 2020 12:04 IST
Outraged China asks India to refrain from supporting Taiwan
Image Source : AP Outraged China asks India to refrain from supporting Taiwan

नई दिल्ली: ताइवान की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को सत्तारूढ़ बीजेपी द्वारा समर्थन देने से चीन तिलमिला गया है। तिलमिलाए कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के शासन ने भारत से अपने 'आंतरिक' मामलों में दखल से बचने को कहा है। बता दें कि बीजेपी के दो सांसदों, मीनाक्षी लेखी और राहुल कसवान ने ताइवान की नव निर्वाचित राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन के शपथ ग्रहण समारोह में वर्चुअली भाग लिया और उन्हें बधाई दी।

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भारत वैसे तो ताइवान को लेकर बीजिंग की 'वन चाइना पॉलिसी' को मानता रहा है और उसके साथ किसी भी तरह के कूटनीतिक संबंध स्थापित नहीं किए हैं लेकिन अब इस नीति में बदलाव के संकेत मिलते दिख रहे हैं। बीजेपी के दोनों सांसद 41 देशों के उन प्रतिनिधियों में शामिल थे जिन्होंने ताइवान की राष्ट्रपति को बधाई संदेश दिया। इनके अलावा अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ भी शामिल थे।

सांसदों के ताइवान के कार्यक्रम में शामिल होने से चीन को ऐसी मिर्ची लगी की उसने लिखित ऐतराज जताया है। नई दिल्ली में चीनी दूतावास की काउंसलर (पार्लियामेंट) लिउ बिंग ने लिखित ऐतराज जताते हुए भारत से अपने 'आंतरिक' मामलों में दखल से बचने को कहा है। अपनी शिकायत में चीनी राजनयिक ने कहा है कि साइ को बधाई संदेश देना 'बिल्कुल गलत' है।

चीनी राजनयिक ने कहा, "एक चीन सिद्धांत यूएन चार्टर और उसके कई प्रस्तावों में मान्य है और यह अंतरराष्ट्रीय संबंधों में आम तौर पर एक मानक है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में इस पर मोटे तौर पर सर्वसम्मति है।"

दोनों देशों के बीच सत्तर साल पहले स्थापित द्विपक्षीय संबंधों की दुहाई देते हुए ल्यू ने कहा कि राष्ट्रपति त्साई को बधाई संदेश देने जैसे गलत संकेत से अलगाववादियों को प्रोत्साहन मिलेगा, जो अंतत: क्षेत्र की शांति और समृद्धि के लिए खतरा पैदा करेगा। उन्होंने बीजेपी सांसदों से इस तरह के कृत्य से बचने और बदले में चीन के एकीकरण के लिए कुछ अच्छा करने को कहा।

चीन यहां भुल जाता है कि वो खुद भारत के ऐतराज के बावजूद पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर में आर्थिक गलियारा बना रहा है। भारत के आंतरिक मामलों में दखल की कोशिश करने वाला चीन उल्टे नई दिल्ली को उंगली दिखा रहा है।

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