नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में हुए इंडिया टीवी के कार्यक्रम में इस बात का खुलासा किया कि कैसे उन्होंने काबुल से अचानक तत्कालीन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को जन्मदिन की बधाई दी, और कैसे पाकिस्तानी नेता ने उन्हें अचानक लाहौर के पास स्थित अपने घर पर एक पारिवारिक विवाह समारोह में शामिल होने का न्योता दे दिया।
पीएम मोदी ने इंडिया टीवी के एडिटर इन चीफ रजत शर्मा के एक सवाल के जवाब में कहा कि मैंने आपके शो में ही कहा था कि पाकिस्तान को प्रेम पत्र भेजना बंद करो जब वह भारत पर योजनाबद्ध हमलों का सहारा ले रहा है। विपक्ष प्रेम पत्र भेजता था, मैंने फाइटर जेट भेजे।
उन्होंने आगे कहा, ''मैंने अफगानिस्तान के काबुल से नवाज शरीफ को फोन किया। मैं वहां एक कार्यक्रम के लिए गया था। मैंने उनसे पूछा कि वह कहां है, जवाब में उन्होंने कहा कि उनकी भतीजी की शादी है इसलिए वो लाहौर में हैं। मुझे पता था कि वो रावलपिंडी में रहते हैं। मैंने उन्हें बताया कि मैं काबुल में हूं, तब उन्होंने मुझे आमंत्रित किया।“
इसके बाद पीएम मोदी ने बताया कि जब उन्होंने इसकी जानकारी विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज को फोन पर दी तो उन्होंने कहा मैंने उनपर पर बम फेंक दिया है और जब उन्होंने सुषमा स्वराज से पूछा कि वह इसके बारे में क्या सोचती है तब सुषमा जी ने कहा कि मुझे वही करना चाहिए जो मेरा दिल कहता है। उन्होंने कहा, ''वह मेरे शपथ ग्रहण समारोह में आए थे इसलिए मेरा भी जाना जरूरी था।“
उन्होंने आगे कहा, ''मेरे पास कुछ भी नहीं था- वीजा और अन्य चीजें, लेकिन मैंने खुद से कहा 'जो होगा देखा जाएगा'। आम तौर पर, एक राष्ट्र का प्रमुख अपने समकक्ष के हेलिकॉप्टर से यात्रा नहीं करता लेकिन मैंने ऐसा किया। मैं उनके परिवार से मिला। इस दौरान हमारे बीच किसी गंभीर मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई। इस यात्रा से भारत ने जो सबसे बड़ा संदेश दिया वो ये था कि हिंदुस्तान पाकिस्तान को नुकसान पहुंचाना नहीं चाहता। दुर्भाग्य से एक हफ्ते बाद ही पठानकोट में आतंकी हमला हुआ लेकिन मेरी अनियोजित यात्रा ने एक ऐसी सकारात्मक छवि पैदा कर दी थी कि मुझे दुनिया को समझाने की ज़रूरत नहीं पड़ी कि कौन सही था और कौन गलत।“
इंडिया टीवी के कार्यक्रम में पीएम मोदी ने बताया, “दुनिया जानती थी कि भारत शांति चाहता है लेकिन विपक्ष ऐसा नहीं समझता। उनके दिमाग में राजनीति इतनी घुसी हुई है वो राष्ट्रनीति भूल जाते हैं। उन्हें इन चीजों की समझ ही नहीं है। पर देश का दुर्भाग्य है और मेरी किस्मत है कि ऐसा विपक्ष मिला है। क्या करें?"