देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी सीबीआई में मचे घमासान के बाद विपक्ष ने भी सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने इस पूरे घटनाक्रम को राफेल विवाद से जोड़ते हुए सरकार से पूछा कि क्या सरकार ने राफेल मामले में जांच के चलते वर्मा को पद से हटाया है? इससे पहले पूरे घटनाक्रम के बीच विपक्ष ने केंद्र पर स्थिति को संभालने में विफल रहने का आरोप लगाया। कांग्रेस ने कहा है कि इस पूरे विवाद से सीबीआई की गरिमा धरातल पर आ गई है। कांग्रेस ने केंद्र पर सीबीआई, ईडी और ऐसे अन्य संस्थानों की स्वतंत्रता को कुचलने का आरोप लगाया। वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने बुधवार को अंतरिम निदेशक बनाए गए नागेश्वर राव पर भी सवाल उठाया है।
विपक्ष के निशान पर सरकार
सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा को हटाए जाने पर कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने पूछा कि क्या सीबीआई चीफ की राफेल सौदे की जांच की इच्छा के कारण उन्हें हटाया गया है। मोदी सरकार ने सीबीआई की स्वतंत्रता में आखिरी कील ठोक दिया है। दूसरी ओर मनीष तिवारी ने ट्वीट कर कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ है कि सीबीआई चीफ की नियुक्ति 2 साल के लिए होती है। इसमें बदलाव के लिए सरकार को प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश और प्रमुख विपक्षी दल से चर्चा करनी चाहिए थी।
माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने मंगलवार को सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना का नाम लिये बिना कहा कि भाजपा और मोदी के एक चहेते अफसर की वजह से देश की शीर्ष जांच एजेंसी की छवि पर सवाल खड़े हो रहे हैं। राकांपा प्रमुख शरद पवार ने मुंबई में कहा कि अगर मौजूदा सरकार प्रभावी होती तो सीबीआई में उच्चतम स्तर पर रिश्वतखोरी के आरोप नहीं लगते। ‘‘उन्हें (प्रधानमंत्री को) कार्रवाई करनी चाहिए।’’
सरकार ने दिया जवाब
विपक्ष के हमलों पर सरकार ने जवाब देते हुए बताया कि उसने सीवीसी की अनुशंसा पर वर्मा और अस्थाना को हटाने का फैसला किया है। सरकार ने तर्क दिया है कि सीवीसी ने दोनों अधिकारियों को हटाने की अनुशंसा की थी।
प्रशांत भूषण ने घटनाक्रम को बताया गैरकानूनी
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने वर्मा को हटाने के सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है। प्रशांत भूषण ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई निदेशक की निष्पक्षता को देखते हुए निर्णय दिया था कि उनकी नियुक्ति उच्चस्तरीय कमेटी करेगी, जिसमें प्रधानमंत्री, चीफ जस्टिस और प्रमुख विपक्षी दल के नेता शामिल होंगे। इसी कमेटी ने आलोक वर्मा ने नियुक्त किया था। उन्हें यही नियुक्ति कमेटी ही हटा सकती है। उन्होंने नागेश्वर राव की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए कहा कि राव पर पहले से ही भ्रष्टाचार के आरोप लगे हुए हैं।