नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र से पहले विपक्षी एकजुटता और विभिन्न मुद्दों पर सरकार को घेरने की रणनीति तैयार करने के मकसद से कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के शीर्ष नेताओं की यहां सोमवार को बैठक हुई। 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा के खिलाफ मोर्चा बनाने के लिए विपक्षी नेताओं की बैठक में बसपा और सपा ने भाग नहीं लिया।
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम विधानसभा चुनावों के नतीजों की घोषणा से एक दिन पहले विपक्षी दलों के नेताओं ने मुलाकात की है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू द्वारा बुलाई गई बैठक में कांग्रेस सहित कुल 16 विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए।
बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एवं एचडी देवगौड़ा, कांग्रेस की शीर्ष नेता सोनिया गांधी, पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी तथा पार्टी के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, ए के एंटनी, अशोक गहलोत, मल्लिकार्जुन खड़गे एवं गुलाब नबी आजाद शामिल हुए। संसद भवन सौंध में आयोजित इस बैठक में आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रफुल्ल पटेल, तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी, नेशनल कान्फ्रेंस (नेकां) के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला, माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी और भाकपा के महासचिव एस सुधाकर रेड्डी भी शामिल हुए।
इनके साथ ही द्रमुक के अध्यक्ष एमके स्टालिन, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव, राष्ट्रीय लोक दल के अजित सिंह, लोकतांत्रिक जनता दल के नेता शरद यादव और झारखंड विकास मोर्चा के बाबूलाल मरांडी भी इस बैठक में शामिल हुए। बैठक के समन्वयक चंद्रबाबू नायडू ने सभी गैर-भाजपा दलों के नेताओं को आमंत्रित किया था।
सूत्रों ने बताया कि बैठक का मुख्य एजेंडा विपक्षी एकजुटता को मजबूत करने और भाजपा से मुकाबले के लिए गैर-भाजपा दलों का मोर्चा बनाने के लिहाज से भविष्य की रणनीति पर बातचीत करना है। बैठक के दौरान विपक्ष के सांसद शीतकालीन सत्र के लिए संयुक्त रणनीति भी बना सकते हैं। भाजपा ने विपक्ष की इस बैठक को ‘‘फोटो खिंचवाने का मौका’’ करार दिया है। पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने आरोप लगाया कि ‘‘भ्रष्ट’’ लोगों की यह बैठक खुद को बचाने के लिए है।
भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने इस बैठक को तवज्जो न देते हुए रविवार को कहा था कि मोदी सरकार को बेदखल करने के बारे में सोचने से पहले विपक्षी दलों को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करना चाहिए। यह बैठक पहले 22 नवंबर को बुलाने की योजना थी लेकिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने की वजह से इसे टाल दिया गया था।