लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बड़ी शान से बताते रहे कि उनकी सरकार ने लखनऊ में गोमती के आसपास के इलाके का काया पलट कर गोमती रिवर फ्रंट को वर्ल्ड क्लास बना दिया। प्रदेश में नई सरकार आते ही जब अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट की समीक्षा हुई और जांच रिपोर्ट सामने आई तो पता चला कि प्रोजेक्ट के नाम पर बड़े घपले किए गए। जिस प्रोजेक्ट को 656 करोड़ में पूरा होना था उसकी लागत को बढ़ाकर 1513 करोड़ कर दिया गया। यानि करीब ढ़ाई गुना लागत बढ़ गई। इसमें से 1435 करोड़ रूपए खर्च भी कर दिए गए लेकिन प्रोजेक्ट पूरा नहीं हुआ। अब पता चला कि अगर पुराने प्रोजेक्ट के हिसाब से काम किया जाए तो इसे पूरा करने में करी एक हजार करोड़ रूपए और खर्च होंगे।
प्रोजेक्ट के नाम पर जनता के पैसे का मिसयूज
प्रोजेक्ट के नाम पर जनता के पैसे का मिसयूज किस तरह किया जाता है इसका भी खुलासा जांच रिपोर्ट में हुआ। गोमती रिवर फ्रंट के सौंदर्यीकरण के लिए फ्रांस से एक फाउंटेन (फव्वारा) इंपोर्ट करवाया था। इस खरीदने के लिए 45 करोड़ रुपए खर्च किए गए। इस फाउंटेन को समुद्री रास्ते से जहाज के जरिए फ्रांस से मुंबई लाया गया। फिर इसे मुंबई से लखनऊ ले जाना था, लेकिन यह फव्वारा पिछले पांच महीने से कानपुर रेलवे स्टेशन के यार्ड में पड़ा है। जांच में सामने आया कि यह फाउंटेन इसलिए नहीं लग सका क्योंकि इसपर पिछली सरकार ने 10 करोड़ की कस्टम ड्यूटी नहीं चुकाई थी। अब अगर इस फाउंटेन को लगाया जाता है तो पहले दस करोड़ की कस्टम ड्यूटी चुकानी होगी। फिर फांउटेन को इंस्टॉल करने में 25 करोड़ रुपए का खर्च और आएगा और इसके मेंटेनेंस में पांच करोड़ रूपए खर्च होंगे यानि 45 करोड़ के फाउंटेन को फिट करने में अभी चालीस करोड़ का खर्चा और होगा।
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वॉटर बस की खरीद में भी फिजूलखर्ची
सिर्फ फाउंटेन ही नहीं बल्कि गोमती रिवर फ्रंट के लिए जो वॉटर बस खरीदी गई उसे लेकर भी फिजूलखर्च की बात जांच रिपोर्ट में सामने आई है। तीन मेंबर वाली कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि अखिलेश यादव की सरकार ने गोमती रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट के लिए पानी की तरह पैसा बहाया। यूरोप से एक एयर कंडीशंड वाटर बस मंगाई। यह बस टूरिस्ट को नदी में घुमाने के लिए थी। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि बस की कीमत 1 करोड़ चालीस लाख थी लेकिन इसे ज्यादा कीमत पर खरीदा गया। इससे भी बड़ी बात यह है कि वॉटर बस अभी तक चालू भी नहीं हुई।
100 करोड़ रुपए का कुछ पता ही नहीं चला
गोमती रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट की हर डीटेल रिव्यू करने वाली कमेटी को एक और बड़ी बात पता चली है। कमेटी की जांच रिपोर्ट में साफ साफ कहा गया है कि गोमती रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट के नाम पर 100 करोड़ का घपला हुआ है। 100 करोड़ रुपए का कुछ पता ही नहीं चला। कमेटी ने नियमों का हवाला देकर कहा है कि प्रोजेक्ट का 6.8 परसेंट पैसा सरकारी खजाने में जमा किया जाना था लेकिन ये पैसा जमा नहीं किया गया। कमेटी ने उन अधूरे कामों को भी रिपोर्ट में हाइलाइट किया है जिसके लिए पैसा तो दे दिया गया लेकिन काम अभी तक नहीं हुआ।