नई दिल्ली: तत्काल बुकिंग प्रणाली में सेंध लगाने के लिए ट्रेवल एजेटों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले कई सारे ऑनलाइन सॉफ्टवेयर सीबीआई की जांच के दायरे आ गए हैं। एजेंसी सूत्रों ने आज यहां बताया कि सीबीआई ने अपने ही प्रोग्रामर अजय गर्ग के खिलाफ जांच के दौरान पाया कि काफी संख्या में ऐसे ही सॉफ्टवेयर एक तय कीमत पर आसानी से उपलब्ध हैं। गर्ग ने ऐसा ही एक अवैध सॉफ्टवेयर बनाया था।
सीबीआई सूत्रों ने बताया कि रेलवे टिकटिंग प्रणाली में सेंध लगाने के लिए इन सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जा रहा है। इनके जरिए बुकिंग प्रक्रिया की गति बढ़ जाती है और कई टिकट बुक हो जाते हैं। सूत्रों ने बताया कि ‘नियो’ सॉफ्टवेयर गर्ग ने बनाया है। इस सॉफ्टवेयर की तरह कई प्रोग्राम हैं, जो ऑनलाइन उपलब्ध हैं। एक अधिकारी ने बताया, ‘‘ऐसे सभी सॉफ्टवेयर जांच के दायरे में हैं। हम उनकी छानबीन कर रहे हैं और उनके संचालन में कोई अवैधता पाए जाने पर जल्द ही कार्रवाई करेंगे।’’
सूत्रों ने बताया कि सॉफ्टवेयर ‘ऑटो फिल’ प्रणाली पर काम करते हैं जिसके तहत काफी संख्या में टिकट चाहने वाले लोगों का ब्योरा डाल दिया जाता है और आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर सुबह 10 बजे तत्काल टिकट की बुकिंग शुरू होने से पहले उन्हें तैयार रखा जाता है।
उन्होंने बताया कि ये सॉफ्टवेयर पीएनआर जारी करने की प्रक्रिया तेज कर देते हैं और इनमें आईआरसीटीसी का कैप्चा भी नहीं डालना पड़ता। साथ ही, कई आईडी से लॉगिन हो जाता है और एक ही समय पर महज एक क्लिक से काफी संख्या में टिकट बुक हो जाते हैं।
सीबीआई प्रवक्ता अभिषेक दयाल ने कहा कि इस तरह के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल आईआरसीटीसी नियम कायदों के मुताबिक अवैध है। यह रेल अधिनयम के तहत भी अवैध हैं। यह भी आरोप है कि आरोपी कुछ बुकिंग एजेंटों द्वारा ऐसे सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल पर पैसे लिया करता था और इन हरकतों से काफी धन संचित किया।
उन्होंने बताया था कि सीबीआई ने इसके सॉफ्टवयेर बनाने और एक तय कीमत पर उसे एजेंटों को उपलब्ध कराने को लेकर असिस्टेंट प्रोग्रामर और उसके एक सहयोगी अनिल गुप्ता को गिरफ्तार किया है।
गौरतलब है कि गर्ग (35) एक चयन प्रक्रिया के जरिए 2012 में सीबीआई में शामिल हुआ था और एक असिस्टेंट प्रोग्रामर के तौर पर काम कर रहा था। इससे पहले वह 2007 से 2011 के बीच आईआरसीटीसी में था, जो टिकटिंग प्रणाली को संचालित करता है।