लखनऊ. कोरोना संक्रमण की वजह से छात्रों की स्कूली शिक्षा बहुत ज्यादा प्रभावित हुई है। कोरोना वायरस की वजह से देश के ज्यादातर स्कूल बंद हैं। स्कूली शिक्षा की जगह अब ऑनलाइन क्लासेज ने ले ली है, जिस वजह से स्टूडेंट्स कई-कई घंटे मोबाइल फोन के आगे बैठने को मजबूर हैं। एक स्टडी में दावा किया गया है कि कक्षा 4 से लेकर कक्षा 12 तक के करीब 55 फीसदी स्टूडेंट्स में हेल्थ से संबंधित समस्याएं सामने आई हैं, जिसकी बड़ी वजह पढ़ाई के कारण घंटों मोबाइल के सामने बैठना है।
स्टूडेंट्स में हेल्थ से जुड़ी जो समस्याएं सामने आ रही हैं उनमें प्रमुख रूप से तनाव (stress), गंभीर दृष्टि समस्याएं (severe eyesight problems) और अनिद्रा (insomnia) शामिल हैं। आपको बता दें कि ये निष्कर्ष लखनऊ स्थित स्प्रिंग डेल कॉलेज (एसडीसी) के स्कूलों की श्रृंखला के छात्रों द्वारा किए गए एक अध्ययन - 'द इम्पैक्ट ऑफ ऑनलाइन टीचिंग ड्यूरिंग द पेंडेमिक ऑन लर्निंग एंड वेलबीइंग' में सामने आए हैं।
इस स्टडी की रिपोर्ट विभिन्न स्कूलों के 4,454 उत्तरदाताओं- 3,300 छात्रों, 1,000 अभिभावकों और 154 शिक्षकों के समूह चर्चा सहित एक सर्वे के आधार पर तैयार की गई। उत्तरदाताओं से ऑनलाइन कक्षाओं की समस्याओं और लाभों के बारे में पूछा गया। अध्ययन में, 54-58 प्रतिशत छात्रों ने कहा कि उन्हें सुस्ती, थकान, चिड़चिड़ापन और मोटापे के अलावा गंभीर शारीरिक तनाव, आंखों की रोशनी में परेशानी, पीठ दर्द और पोस्टुरल समस्याओं के कारण सिरदर्द का अनुभव हुआ।
लगभग 50 प्रतिशत ने तनाव और 22.7 प्रतिशत अनिद्रा की शिकायत की, जबकि लगभग 65 प्रतिशत छात्रों ने तकनीकी खराबी, नेटवर्क की समस्या, मोबाइल फोन के माध्यम से अध्ययन करते समय ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई का हवाला दिया। लगभग 45-47 प्रतिशत छात्रों को शिक्षकों और सहपाठियों के साथ बातचीत करने में समस्या थी और उन्होंने कहा कि सभी लोग एक बार में स्क्रीन पर नहीं दिखते हैं। छात्रों ने आत्मविश्वास में कमी और low motivation की भी शिकायत की।
हालांकि, ऑनलाइन शिक्षा का सकारात्मक परिणाम यह है कि छात्र और शिक्षक दोनों ही तकनीक के जानकार हो गए हैं। 60 प्रतिशत से अधिक छात्रों ने कहा कि उन्हें अतिरिक्त समय मिलता है जिसका उपयोग वे gardening, कला और शिल्प में करते हैं जबकि 65 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने घर पर खाली समय बिताया जिससे पारिवारिक बंधन मजबूत हुआ। हालांकि, दोनों छात्र और शिक्षक कक्षाओं में वापस आने के लिए तरस गए और महसूस किया कि physical interaction ने शैक्षिक मानकों में सुधार करने में मदद की।