नयी दिल्ली: केंद्र ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि किसी विदेशी के खिलाफ एक बार ‘भारत छोड़ो नोटिस’ जारी हो जाए तो उसे वैध वीजा होने के बाद भी देश छोड़ देना चाहिए। गृह मंत्रालय ने मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति ए जे भंभानी की पीठ के सामने यह बात कही। पीठ एक व्यक्ति की अर्जी पर सुनवाई कर रही है जिसकी पाकिस्तानी बीवी को सरकार ने उसके खिलाफ प्रतिकूल सुरक्षा रिपोर्ट के मद्देनजर देश छोड़ने को कहा था।
यह महिला इस व्यक्ति से शादी कर 2005 में भारत आयी थी। वह यहां दिल्ली में अपने पति तथा 11 एवं पांच साल के दो बेटों के साथ रह रही है। याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि उसे (महिला को) नहीं भेजा जाना चाहिए क्योंकि भारतीय नागरिकता के लिए उसका आवेदन अधिकारियों के पास लंबित है। गृह मंत्रालय का पक्ष रखते हुए केंद्र के वकील अनुराग अहलूवालिया ने पीठ से कहा कि महिला को देश छोड़ना ही होगा क्योंकि उसके खिलाफ ‘भारत छोड़ो नोटिस’ है। उसे अवश्य चले जाना चाहिए और जब उसका आवेदन स्वीकार हो जाए तो वह लौट सकती है।
उच्च न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया और तब तक महिला के खिलाफ कोई जबरन कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ता के अनुसार उसकी पत्नी के पास दीर्घकालिक वीजा है जो 2020 तक वैध है। उसने 15 दिनों में देश छोड़ देने के सरकार के सात फरवरी के निर्देश को शुरु में एकल न्यायाधीश के समक्ष में चुनौती दी थी। एकल न्यायाधीश ने उसकी अर्जी खारिज कर दी थी।