श्रीनगर: जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को लगभग आठ महीने बाद मंगलवार को हिरासत से रिहा कर दिया गया। रिहाई के बाद उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अगले कुछ हफ्ते और महीने हमारे लिए जीवन और मौत की लड़ाई हैं। हमें कोविड-19 को हराने के लिए सरकार जो भी दिशा-निर्देश दे रही है उसका पालन करना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने अन्य बंदियों की रिहाई की भी बात की। उन्होंने कहा कि सरकार सभी बंदियों को रिहा करे। उमर अब्दुल्ला अपने पिता फारूख अब्दुल्ला से भी मिले।
जनसुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत लगाए गए आरोप हटाए जाने के बाद उंमर की रिहाई का आदेश जारी किया गया था। गत 10 मार्च को 50 साल के हुए अब्दुल्ला ने पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद, 232 दिन हिरासत में गुजारे। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता को पूर्व में एहतियातन हिरासत में लिया गया था, लेकिन बाद में पांच फरवरी को उन पर पीएसए लगा दिया गया था।
उमर पर पीएसए के तहत लगाए गए आरोप हटाने का आदेश गृह सचिव शालीन काबरा की ओर से जारी किया गया। आदेश में कहा गया कि सरकार ने उमर की हिरासत ‘तत्काल प्रभाव’ से खत्म कर दी। उमर की रिहाई की खबर मिलने के बाद अस्थायी हिरासत केंद्र में सबसे पहले पहुंचने वालों में उनकी मां थी। उमर को उनके आधिकारिक आवास से थोड़ी दूर स्थित सरकारी अतिथि निवास हरि निवास में रखा गया था। उनके पिता को 221 दिन की हिरासत में रखने के बाद 13 मार्च को रिहा कर दिया गया था।
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला को रिहा करने का मंगलवार को स्वागत किया। जन सुरक्षा कानून के तहत इल्तिजा की मां महबूबा मुफ्ती अब भी हिरासत में हैं। उन्होंने अपनी मां के ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया, ‘‘वे भले ही नारी शक्ति और महिला उद्धार की बात करते हों लेकिन ऐसा लगता है कि केंद्र को सबसे ज्यादा डर भी महिलाओं से ही लगता है।’’ उनका इशारा अपनी मां की ओर था जो अब भी हिरासत में हैं। जम्मू-कश्मीर में माकपा के वरिष्ठ नेता एम. वाई. तारीगामी ने भी उमर अब्दुल्ला की रिहाई का स्वागत किया। उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश में 4जी मोबाइल इंटरनेट सेवा बहाल करने और कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए सभी संसाधन मुहैया करवाने की भी मांग की। (इनपुट-भाषा)