Highlights
- पीठासीन अधिकारियों के 82वें सम्मेलन की शुरूआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे
- लोकतांत्रिक संस्थाओं के कामकाज को पारदर्शी एवं मजबूत बनाने के बारे में की जायेगी चर्चा
- 1921 में पीठासीन अधिकारियों की पहली बैठक शिमला में हुई थी- ओम बिरला
नयी दिल्ली: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सोमवार को बताया कि पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में 16, 17 और 18 नवंबर को होगा जिसमें लोकतांत्रिक संस्थाओं के कामकाज को पारदर्शी एवं मजबूत बनाने के बारे में चर्चा की जायेगी। बिरला ने संवाददाताओं को बताया कि 1921 में पीठासीन अधिकारियों की पहली बैठक शिमला में हुई थी और इस खास अवसर के 100 साल पूरा होने पर पीठासीन अधिकारियों का 82वां सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। इसकी शुरूआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे तथा हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल इसका समापन करेंगे।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि इस सम्मेलन में राज्यों की विधानसभाओं के सभापति, पीठासीन अधिकारी, राज्यसभा के सभापति और लोकसभा अध्यक्ष शामिल होते हैं। सम्मेलन का उद्देश्य यह है कि शासन जिम्मेदार एवं पारदर्शी बने, जन प्रतिनिधि नई तकनीक से जुड़ें एवं जनता के मुद्दों को प्रभावी ढंग से रखें। उन्होंने बताया ‘‘2001 में हुए सम्मेलन में इस बात पर सहमति थी कि सदन की कार्यवाही के दौरान संयम एवं अनुशासन रहे और अपनी बातों को प्रभावी ढंग से रखा जाए। दल बदल कानूनों के बारे में भी चर्चा हुई थी एवं सदन की कार्यवाही के प्रसारण के बारे में भी निर्णय किया गया था। संसदीय समितियों को प्रभावी बनाने पर भी बल दिया गया था।'
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि हमारा भी मानना है कि सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चले और सांसद जनता के मुद्दों को प्रभावी ढंग से रखें। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि सभी राज्यों की विधानसभा भी अपनी पुरानी बैठकों और रिकॉर्ड का डिजिटलाइजेशन करें और एक प्लेटफॉर्म पर लाएं। हम आने वाले समय में संसद के अंदर 1857 के बाद से सारे रिकॉर्ड का मेटाडेटा डाल रहे हैं। ये हिंदी-अंग्रेजी दोनों वर्जन में उपलब्ध होंगे।