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'OBOR आथिर्क समन्वय स्थापित करने के बजाए अस्थिरता को बढ़ावा देगा'

चीन और पाकिस्तान के साथ वन बेल्ट- वन रोड समेत कई मुद्दों पर भारत के दिन प्रतिदिन जटिल होते रिश्तों के बीच एक रिपोर्ट में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में पाकिस्तान और भारत के शामिल होने...

India TV News Desk
Published on: June 18, 2017 12:18 IST
OBOR will boost volatility rather than fiscal coordination- India TV Hindi
OBOR will boost volatility rather than fiscal coordination

नयी दिल्ली: चीन और पाकिस्तान के साथ वन बेल्ट- वन रोड समेत कई मुद्दों पर भारत के दिन प्रतिदिन जटिल होते रिश्तों के बीच एक रिपोर्ट में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में पाकिस्तान और भारत के शामिल होने को रेखांकित करते हुए कहा गया है कि सीपीईसी या वन बेल्ड- वन रोड पहल इस क्षेत्र में आथिर्क समन्वय स्थापित करने की बजाए अस्थिरता को बढ़ावा देगा। इंस्टीट्यूट आफ डिफेंस रिसर्च एंड एनालिसिस (IEDSA) से जुड़े विशेषज्ञ पी शतोब्दन की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान के SCO में शामिल होने के बीच इस मंच पर विविध प्रकार के हितों के टकराव, आतंकवाद से मुकाबला करने के वैकि मुद्दे समेत कई अन्य विषय सामने आयेंगे। ऐसे में कई अवसरों पर भारत का रूख अन्य देशों के अनुरूप नहीं हो पायेगा और झुकाव चीन की ओर भी देखने को मिल सकता है। (सिर्फ बातचीत और सुलह ही कश्मीर में अमन ला सकती है: मुफ्ती)

रिपोर्ट में कहा गया है कि जेईएम सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैकि आतंकवादी घोषित करने, परमाणु आपूर्तकिर्ता समूह (NSG) में भारत के प्रवेश के मुद्दे पर चीन के रूख को लेकर संदेह गहरा हो रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह ऐसे समय में महत्वपूर्ण है जब रूस के साथ भारत की पारंपरिक साझोदारी भी अफगानिस्तान जैसे मुद्दों पर पटरी से उतरती प्रतीत हो रही है। चीन भी अफगानिस्तान के मुद्दे पर पाकिस्तान, तजाकिस्तान और अफगानिस्तान के साथ क्षेत्रीय समूह बना रहा है। भारत ने वन बेल्ट- वन रोड के मुद्दे को सम्प्रभुता के विषय से जोड़ते हुए इस बारे में आयोजित सम्मेलन का बहिष्कार किया है लेकिन चतुर्भुज परिवहन पारगमन समझौते (QTTA) पर चीन के साथ 1995 में पाकिस्तान समेत किर्गस्तिान और कजाख्स्तान ने काराकोरम राजमार्ग के उपयोग के संबंध में हस्ताक्षर किया था। आईडीएसए से जुड़े विशेषज्ञ शतोब्दन की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर संयुक्त राष्ट की एक रिपोर्ट को गंभीरता से ले तब चीन पाकिस्तान आर्थकि गलियारा इस क्षेत्र में आथिर्क समन्वय की बजाए अस्थिरता पैदा करने का काम करेगा।

विशेषज्ञों का मानना है कि शंघाई सहयोग संगठन में भारत के शामिल होने से कोई नाटकीय बदलाव नहीं आयेगा हालांकि भारत इसका लाभ आतंकवाद निरोधक ढांचे, आतंकी संगठन से जुड़ी खुफिया जानकारी जुटाने, मादक पदार्थो की तस्करी से जुड़े विषयों और साइबर सुरक्षा में कर सकता है। रक्षा मामलों के विशेषज्ञ राज कादयान ने कहा कि मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने और एनएसजी में भारत के प्रवेश के मुद्दे पर चीन अवरोधक बना हुआ है। चीन की बेल्ट एंड रोड पहल के तहत चीन-पाकिस्तान आर्थकि गलियारा भी दोनों देशों के बीच एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है। उन्होंने कहा कि चीन की ओर से करीब 50 अरब डालर के निवेश से निर्मित होने वाला यह गलियारा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजर रहा है जिसे भारत अपना क्षेत्र मानता है।

आईडीएसए से जुड़ी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इन मुद्दों से स्पष्ट है कि पिछले ढाई साल में ऐसे द्विपक्षीय मुद्दों से निपटने में वर्तमान तंत्र की उपयोगिता नहीं रह गई है। संवाद की पहल और बेहतर आर्थिक संबंध दोनों देशों के बीच विश्वास का निर्माण करने में मदद नहीं पहुंचा रहा है। विवाद से निपटने के तरीके संघर्ष के बिन्दु पैदा कर रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस स्थिति में भारत को अपने राजनयिक तौर तरीकों में बदलाव करने की जरूरत है। तिब्बत और ताइवान का शीत युद्ध काल का कार्ड आज की स्थिति में चीन के खिलाफ कारगर नहीं प्रतीत हो रहा है।

आईडीएसए से जुड़े एक अन्य विशेषज्ञ जैनब अख्तर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सीपीईसी को लेकर स्थानीय लोगों में असंतोष भी है क्योंकि पाकिस्तान सरकार द्वारा इस परियोजना को लेकर कोई स्पष्ट खाका और नीति पेश नहीं की गई है। विभिन्न आकलनों और पूर्वानुमानों से स्पष्ट हो रहा है कि इस परियोजना के लिए करीब 50 अरब डालर के अनुमानित निवेश की बात कहे जाने के बावजूद इस क्षेत्र को इसकी तुलना में काफी कम लाभ होगा।

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