तिरुवनंतपुरम: चर्च के पांच पादरियों द्वारा एक विवाहित महिला का कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किये जाने का हवाला देते हुए केरल स्थित एक संगठन की महिला सदस्यों ने ‘ सैक्रामेंट ऑफ कन्फेशन ’ के सदियों पुराने तरीके में सुधार करके ननों को भी महिलाओं के लिये प्रायश्चित कराने की अनुमति दिये जाने की मांग की।
सैक्रामेंट ऑफ कन्फेशन कैथोलिक धर्म का एक अनोखा पहलू है। ईसा मसीह ने प्रेम और दया की भावना से सैक्रामेंट ऑफ कन्फेशन की व्यवस्था की थी ताकि पापी अपने पाप के लिये माफी पा सकें और ईश्वर और चर्च के साथ मिल सकें। यह सैक्रामेंट पाप करने वाले का पाप धो देता है और उसे पुन: ईसा मसीह की शरण में ले जाता है।
केरल चर्च ऐक्ट ऐक्शन काउन्सिल के प्रतिनिधियों ने कहा कि मौजूदा स्वरूप में महिलाओं की अंतरंग स्वीकारोक्ति के दुरुपयोग की संभावना है। इस संगठन में चर्च में सुधार के लिये विभन्न चर्च संप्रदायों के सदस्य शामिल हैं। पिछले महीने पतनमथिट्टा जिले के एक व्यक्ति ने केरल में मालकारा ऑर्थोडॉक्स सीरियन चर्च के पांच पादरियों पर आरोप लगाया था कि उन्होंने उसकी पत्नी की गुप्त स्वीकारोक्ति का इस्तेमाल उसे ब्लैकमेल करने और उसका यौन उत्पीड़न करने में किया।
केरल चर्च ऐक्ट ऐक्शन काउन्सिल की उपाध्यक्ष इंदुलेखा जोसफ ने कहा कि इस घटना को इक्का - दुक्का प्रकरण के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिये और हो सकता है कि दशकों से विभिन्न संप्रदायों में इस तरह की घटनाएं हो रही हों। जोसफ ने सिर्फ पादरियों के ‘ सैक्रामेंट ऑफ कन्फेशन ’ करने की प्रथा को चर्च में लैंगिक पूर्वाग्रह का उदाहरण बताया।
उन्होंने कहा , ‘‘ क्यों ननों को ऐसा करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। वे भी चर्च के नियमों का सख्ती से पालन कर रही हैं और निर्धारित मानदंडों का पालन कर रही हैं। इसलिये उन्हें भी महिलाओं और नाबालिगों के लिये प्रायश्चित कराने की अनुमति दी जानी चाहिये। ’’