नयी दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी समेत अन्य शहरों में प्रदूषण का स्तर बढ़ने के बाद, देश के शीर्ष चिकित्सक संस्थान एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि खराब वायु गुणवत्ता के कारण अस्पताल में ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ी है, जिन्हें सांस लेने में दिक्कत होती है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि जिन महीनों में प्रदूषण का स्तर ज्यादा रहता है, उस दौरान अस्पताल आने वाले ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ जाती है जिन्हें सांस लेने में दिक्कत होती है। साथ में ऐसे मरीजों की संख्या भी बढ़ जाती है, जिन्हें दिल का दौरा पड़ा होता है।
उन्होंने एम्स में एक कार्यक्रम के इतर पत्रकारों से कहा कि लोगों की सेहत पर प्रदूषण के प्रभाव का पता लगाने के लिए अध्ययन किए जा रहे हैं। दिल्ली की वायु गुणवत्ता मंगलवार को लगातार चौथे दिन ‘गंभीर’ श्रेणी में बनी रही। दरअसल, मौसम संबंधी प्रतिकूल स्थितियों की वजह से प्रदूषकों का छितराव नहीं हो रहा है। दिल्ली, दिवाली के बाद सबसे बदतर प्रदूषण संकट का सामना कर रही है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक, समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 416 है जो ‘गंभीर श्रेणी में आता है। वहीं केंद्र के वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान प्रणाली (सफर) ने एक्यूआई 423 रिकॉर्ड किया है। गुलेरिया ने लोगों से अधिक प्रदूषण स्तर वाले इलाकों में जाने से बचने को कहा है। साथ ही एहतियाती उपाय करने की भी सलाह दी है।