नयी दिल्ली: वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि बैंकों में नॉन परफॉर्मिंग एसेट (NPA) के मामले पुराने हैं और RBI ने ऐसे बड़े 12 मामलों को लिया है जिन्हें वे डूबता कर्ज मानते हैं। जेटली ने साथ ही कहा कि सरकार चिटफंड कंपनियों के नियमन के संबंध में एक केंद्रीय कानून भी लाने जा रही है। वित्त मंत्री ने लोकसभा में कहा कि इन NPA के साथ जूझना राजनीतिक विषय नहीं है। स्वभाविक है कि ये (NPA) 2014 से पहले के हैं। ये साल 2008-09 से 2012-13 तक बढ़े जा रहे थे। हमने इस स्थिति को ठीक करने की पहल की और कई तरह की बचावकारी ड्यूटी और एंडी डंपिंग ड्यूटी लगायी। बिजली के क्षेत्र में भी चुनौती थी। राज्यों ने सस्ते दर पर बिजली बेची जिससे उनका वित्तीय भार बढ़ गया। अतिरिक्त बिजली के खरीदार नहीं मिल रहे थे। हमने उदय योजना बनाई। राज्यों के सरकारी डिस्कॉम (बिजली वितरण कंपनियां) का हल ढूंढने का प्रयास किया।
वित्त मंत्री ने कहा, 'जो अब बढ़ रहा है, वह सिर्फ ब्याज बढ़ रहा है। यह कोई नया कर्ज नहीं है। इसका हल करने का तरीका ढूंढना है।' जेटली ने बैंककारी विनियमन संशोधन विधेयक 2017 पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए यह बात कही। जेटली ने कहा कि इनमें कई मामले फर्जीवाड़े के भी हैं। यह कोई रूटीन एनपीए नहीं है। बैंकों के पास मामले दर्ज करने की व्यवस्था है। वे संपत्ति भी जब्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आरबीआई ने ऐसे बड़े 12 मामलों को लिया है जिन्हें वे डूबता ऋण मानते हैं । आरबीआई ने कुछ कठिन मामले लिये हैं।
चिटफंड कंपनियों की धोखाधड़ी के बारे में सदस्यों के सवालों पर वित्त मंत्री ने कहा कि जहां तक चिटफंड से जुड़ी पुरानी कंपनियों का विषय है, इसे सेबी देख रही है, उच्चतम न्यायालय के तहत इनसाइट समिति देख रही है। हमने इस बारे में कानून का मसौदा तैयार किया है। जेटली ने कहा कि पश्चिम बंगाल, ओडिशा में चिटफंड कंपनियों के बारे में राज्य के कानून हैं। लेकिन उन चिटफंड कंपनियों का क्या, जो देशभर में काम कर रही हैं। ऐसे में हमने केंद्रीय कानून का मसौदा बनाया है और जल्द ही हम इसे पेश करेंगे। मंत्री के जवाब के बाद सदन ने ध्वनिमत से बैंककारी विनियमन संशोधन विधेयक 2017 को मंजूरी दे दी । यह विधेयक बैंककारी विनियमन संशोधन अध्यादेश 2017 का निरनुमोदन करने के लिये लाया गया है।