नयी दिल्ली: ख़तना एक ऐसी पुरानी परंपरा है जिसे अक़्सर मुसलमानों से जोड़कर देखा जाता है लेकिन सच्चाई ये है कि इसका चलन इसाईयों और यहूदियों में भी है। ख़तना यानी Circumcision में पुरुष के शिश्न की आगे की त्वचा को पूरी तरह या आंशिक रूप से हटाया जाता है। “खतना लैटिन भाषा का शब्द है।
क़ुरान में ख़तना का कोई ज़िक्र नहीं
ख़तना के बारे में जानकारी गुफा के चित्रों और प्राचीन मिस्र की कब्रों से मिलती है। यहूदी संप्रदाय में पुरूषों की ख़तना को ईश्वर का आदेश माना जाता है। इस्लाम में हालांकि क़ुरान में इसकी चर्चा नहीं की गई है लेकिन यह व्यापक रूप से प्रचलित है और अक्सर इसे सुन्नत यानी अनिवार्य माना जाता है। यह अफ्रीका में कुछ ईसाई चर्चों में भी प्रचलित है, जिनमें कुछ ओरिएण्टल ऑर्थोडॉक्स चर्च भी शामिल हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार विश्व में 30% पुरूषों की ख़तना हो चुकी है जिनमें से 68% मुसलमान हैं। ख़तना का प्रचलन अधिकांशतः धार्मिक संबंध और कभी-कभी संस्कृति, के साथ बदलता है। अमूमन ख़तना सांस्कृतिक या धार्मिक कारणों से किशोरवस्था में की जाती है और कुछ देशों में इसे शैशवावस्था में ही किया जाता है।
ख़तना पर विवाद
ख़तना को लेकर विवाद भी होते रहे हैं। ख़तना के समर्थन में यह तर्क दिया जाता है कि इसके बहुत स्वास्थ्य लाभ हैं और ये खी गंभीर बीमारियों से बचाती है। ख़तना से संभोग पर कोई असर नहीं पड़ता और अनुभवी चिकित्सक द्वारा किये जाने पर इसमें जटिलता की दर कम होती है और इसे नवजात काल में सर्वश्रेष्ठ रूप से किया जाता है।
ख़तना के विरोध में तर्क हैं कि ये पुरूषों के जननांग संबंधी कार्यों और यौन आनंद पर बुरा प्रभाव डालती है। इसे चिकित्सीय मिथकों के आधार पर तर्कसंगत ठहराया जाता है लेकिन यह बहुत दर्दनाक और मानवाधिकारों का उल्लंघन है।
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