नयी दिल्ली: रक्षा मंत्री निर्मला सीतारामन ने आज कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की हिंदुस्तान एयरोनेटिक्स लि. (HAL) को तेजस हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) का उत्पादन बढ़ाना होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार ने किसी अन्य लड़ाकू जेट को लेकर यह परियोजना नहीं छोड़ी है। निर्मला ने यह भी कहा कि सरकार ‘मार्क दो’ संस्करण का बेसब्री से इंतजार कर रही है और कई देशों ने एचएएल द्वारा विकसित स्वदेशी विमान में रूचि दिखायी है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने हल्के लड़ाकू विमान एलसीए को नहीं छोड़ा है। हमने तेजस की जगह किसी और लडाकू जेट के लिये कदम नहीं उठाया। एचएएल को एलसीए की उत्पादन क्षमता बढ़ानी होगी।’’
फिलहाल एचएएल सालाना करीब आठ तेजस विमानों का उत्पादन कर रहा है। रक्षा मंत्रालय इस एकल इंजन बहु-भूमिका वाले विमान का उत्पादन बढ़ाकर 18 विमान सालाना करना चाहता है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें पूरा भरोसा है कि तेजस मार्क दो सैन्य बलों के एकल इंजन वाले लड़ाकू विकान की जरूरतों को पूरा करेगा।’’ उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इस विमान की निर्यात संभावना पर भी गौर कर रही है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सरकार वायुसेना के लड़ाकू विमानों की कम होती स्क्रवैड्रन को बढ़ाने के लिये लड़ाकू जेट के बेड़े की खरीद को लेकर वैश्विक निविदा की प्रक्रिया जल्द शुरू कर सकती है। भारतीय वायुसेना के पास फिलहाल 31 लड़ाकू विमान की स्क्वैड्रन है जबकि अधिकृत संख्या 42 है।
भारतीय वायुसेना ने 40 तेजस मार्क-1 संस्करण का आर्डर दिया है। इस संबंध में कुल 50,000 करोड़ रुपये की लागत से 83 तेजस मार्क-1 संस्करण खरीदने के लिये एचएएल को दो महीने पहले अनुरोध प्रस्ताव दिया गया है।
रक्षा मंत्री के अनुसार सरकार एलसीए के उत्पादन को बढ़ाने के उपायों पर गौर कर रही है। उन्होंने कहा कि कई देशों ने इस विमान के खरीदने में रूचि दिखायी है। रक्षा मंत्री का यह बयान रक्षा प्रतिष्ठानों में इस रिपोर्ट के बीच आया है कि तेजस वायुसेना की युद्ध तैयारियों को बनाये रखने के लिये पर्याप्त नहीं है और उसे किसी भी संभावित सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिये तुंरत विदेशी एकल इंजन वाले लड़ाकू विमान के बेड़े की जरूरत है।