नई दिल्ली: एक तरफ नागरिकता संधोशन बिल को लेकर जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ उन लोगों के चेहरे पर खुशी है जो अब भारत के नागरिक बन सकेंगे। पाकिस्तान में ज़ुल्म और ज्यादतियों से परेशान होकर भारत में शरण लेने वाले लोगों को उम्मीद है कि वो अब चैन से जी सकेंगे। लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पास होते ही विस्थापित हिंदुओं में मिठाईयां बंटने लगी। पाकिस्तान से भागकर आए हिन्दुओं ने कहा कि ये उनके लिए तो ये पुनर्जन्म जैसा है। उनकी मन की मुराद पूरी हो गई।
वहीं नगारिकता संशोधन बिल का सबसे तीखा विरोध नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों में नजर आ रहा है। असम से लेकर अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम से लेकर मणिपुर तक जोरदार विरोध किया जा रहा है। खास बात ये है कि इस बिल के खिलाफ सड़क से लेकर संसद तक प्रदर्शन किए जा रहे हैं। हालांकि सरकार ने ये साफ कहा है कि इस बिल से नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों को कोई नुकसान नहीं होगा।
असम की राजधानी गुवाहाटी समेत राज्य के हर शहर में लोग नागरिकता बिल के विरोध में सड़कों पर उतरे और इसके खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। जहां-तहां टायर जलाकर सड़कें जाम की। गुवाहाटी, नगांव, जोरहाट, गोलाघाट, डिब्रूगढ़, मोरीगांव में लोगों का आक्रोश फूटा। पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी और त्रिपुरा के अगरतला में भी लोग बांग्लादेशी लोगों को नागरिकता देने का विरोध करते नजर आए।
हैरान करने वाली बात ये है कि ये विरोध तब है जब गृहमंत्री ने खुद लोकसभा के अंदर कहा कि इस बिल से नॉर्थ-ईस्ट के लोगों के हितों का कोई टकराव नहीं होगा। नॉर्थ ईस्ट में इस बिल का सबसे तीखा विरोध बदरूद्दीन अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ ने किया है।
बदरूद्दीन अजमल का आरोप है कि नाकामी छिपाने के लिए सरकार इस तरह के बिल पर काम कर रही है। हालांकि गृहराज्य मंत्री किरण रिजीजू ने एक बार फिर साफ किया है कि बिल के पास होने से नॉर्थ ईस्ट के लोगों के हितों पर रत्ती भर भी आंच नहीं आएगी।