Highlights
- सरकार की प्राथमिकता है कि फिलहाल वयस्क आबादी को टीके की दूसरी खुराक दी जाए- डॉ. बलराम भार्गव
- भारत में टीकाकरण पर एनटीएजीआई की अगली बैठक में बूस्टर खुराक को लेकर चर्चा की जा सकती है
- विशेषज्ञों की सिफारिश के आधार पर बूस्टर खुराक पर निर्णय लिया जाएगा- मनसुख मांडविया
नयी दिल्ली: भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (आईसीएमआर) के निदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने सोमवार को कहा कि कोविड-19 रोधी टीके की बूस्टर खुराक (यानी तीसरी खुराक) देने की जरूरत के समर्थन में अब तक कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं आए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की प्राथमिकता है कि फिलहाल वयस्क आबादी को टीके की दूसरी खुराक दी जाए। सूत्रों के मुताबिक, भारत में टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) की अगली बैठक में बूस्टर खुराक को लेकर चर्चा की जा सकती है।
भार्गव ने बताया कि “ सरकार की फिलहाल प्राथमिकता है कि संपूर्ण वयस्क आबादी को टीके की दूसरी खुराक लगाई जाए और न सिर्फ भारत में बल्कि की पूरी दुनिया में टीकाकरण सुनिश्चित हो।” उन्होंने कहा, “वहीं, कोविड के खिलाफ बूस्टर खुराक की जरूरत का समर्थन करने के लिए अब तक वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं है।”
बता दें कि, बूस्टर खुराक लगाने की संभावना पर केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने हाल में कहा था कि टीकों का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है और लक्ष्य है कि आबादी को टीके की दोनों खुराकें लगाई जाएं। उन्होंने कहा था कि विशेषज्ञों की सिफारिश के आधार पर बूस्टर खुराक पर निर्णय लिया जाएगा। मंत्री ने कहा था, ‘‘सरकार ऐसे मामले में सीधा फैसला नहीं ले सकती है। जब भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और विशेषज्ञ टीम कहेगी कि बूस्टर खुराक दी जानी चाहिए, तब हम इस पर विचार करेंगे।”
उन्होंने यह भी कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा विशेषज्ञ की राय पर निर्भर रहे हैं, चाहे वह टीके का अनुसंधान हो, निर्माण हो या मंजूरी हो। अधिकारियों के अनुसार, भारत में लगभग 82 प्रतिशत पात्र आबादी को टीके की पहली खुराक लग गई है, जबकि लगभग 43 प्रतिशत जनसंख्या का पूर्ण टीकाकरण हो चुका है। सुबह सात बजे तक के अस्थायी आंकड़ों के मुताबिक, देश में कोविड रोधी टीके की कुल 116.87 करोड़ से अधिक खुराकें दी जा चुकी हैं।
आईसीएमआर ने अस्थायी परियोजना कार्यक्रम के तहत अनुसंधान प्रस्ताव आमंत्रित किये
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने चिकित्सा महाविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों, विश्वविद्यालयों और गैर सरकारी संस्थाओं में नियमित रूप से नियोजित वैज्ञानिकों व पेशेवरों से 2021 के लिए अस्थायी परियोजना कार्यक्रम को लेकर अनुसंधान प्रस्ताव आमंत्रित किये हैं। आईसीएमआर के वैज्ञानिक एल.के. शर्मा ने कहा कि जैव चिकित्सा अनुसंधान के क्षेत्र में देश में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए आईसीएमआर अस्थायी परियोजनाओं के रूप में वित्तीय सहायता मुहैया कराती है।
उन्होंने कहा कि यह चिकित्सा महाविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों, विश्विद्यालय, मान्यता प्राप्त एवं अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला, सरकारी व अद्ध सरकारी संगठनों तथा एनजीओ में नियोजित वैज्ञानिकों या पेशेवरों को प्रदान किया जाता है। शर्मा ने कहा कि प्रति परियोजना अधिकतम 1.5 करोड़ रुपये दिये जाते हैं। आईसीएमआर ने 2021 के लिए अपनी फैलोशिप (अनुसंधान सहयोगी या वरिष्ठ अनुसंधान फैलोशिप) कार्यक्रम को लेकर भी युवा शोधार्थियों से प्रस्ताव मांगे हैं। दोनों श्रेणियों में प्रस्ताव 17 दिसंबर शाम पांच बजे तक जमा किये जा सकते हैं।