नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने सोमवार से ऑड-ईवन लागू करने का फैसला वापस ले लिया है। दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि एनजीटी के ताजा आदेश के बाद ऑड-ईवन लागू करने में कई तरह की व्यवहारिक दिक्कतें आ रही थीं। इन सबपर विचार करने के बाद फिलहाल दिल्ली सरकार ने सोमवार से ऑड-ईवन लागू नहीं करने का फैसला लिया है। उन्होंने बताया कि सोमवार को दिल्ली सरकार एक बार फिर एनजीटी में अपना पक्ष रखेगी।
इससे पहले राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) ने दिल्ली सरकार की ऑड-ईवन स्कीम को लागू करने की मंजूरी दे दी थी, लेकिन इसके साथ कुछ शर्तें भी लगा दी थी। NGT ने कहा था कि इस स्कीम को दिल्ली सरकार लागू कर सकती है, लेकिन दोपहिया वाहनों, महिला ड्राइवरों और सरकारी कर्मचारियों को किसी भी तरह की छूट नहीं मिलेगी। NGT ने कहा था कि ऐंबुलेंस, CNG वाहनों और इमर्जेंसी सेवाओं के लिए छूट रहेगी। सेंट्रल पल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और दिल्ली पल्यूशन कंट्रोल कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि चार पहिया वाहनों के मुकाबले टू-वीलर्स से ज्यादा प्रदूषण होता है। कुल प्रदूषण में 20 प्रतिशत योगदान टू-वीलर्स से ही होता है।
NHAI और NBCC को 'कारण बताओ' नोटिस
NGT प्रमुख जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि CNG वाहनों और ऐंबुलेंस व फायरब्रिगेड जैसी आपातकालीन सेवाओं के अतिरिक्त किसी को भी इस योजना से छूट नहीं मिलनी चाहिए। सुनवाई के दौरान अधिकरण ने दिल्ली सरकार से पूछा कि अगर उसका लक्ष्य वायु की गुणवत्ता में सुधार करना है तो वह खास वर्गों को छूट क्यों दे रही है। पीठ ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) और नेशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन (NBCC) को भी कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा कि निर्माण की गतिविधियों पर रोक लगाने के अधिकरण के आदेश का उल्लंघन करने पर उन पर क्यों नहीं जुर्माना लगाया जाए।
‘पानी का छिड़काव प्रदूषण को नियंत्रित करने का बेहतर उपाय’
नैशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल का मानना है कि पानी का छिड़काव प्रदूषण को नियंत्रित करने का एक बेहतर उपाय है। NGT ने यूपी सरकार से भी सवाल किया और पूछा कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा में पर्यावरण के नियमों का उल्लंघन करने वाले कितने लोगों के चालान काटे गए। इससे पहले NGT ने दिल्ली सरकार पर कई सवाल दागते हुए पूछा था कि ऑड-ईवन स्कीम को लागू करने का फैसला पहले क्यों नहीं लिया गया था। ट्राइब्यूनल ने दिल्ली सरकार से कहा कि जब आंकड़े दिखा रहे हैं कि बारिश न होने की वजह से प्रदूषण का स्तर बढ़ा है तो इस दिशा में अब तक कोई कदम क्यों नहीं उठाया गया।
किस आधार पर दी गई थी दोपहिया वाहनों को छूट?
नैशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल ने दिल्ली सरकार से शुक्रवार को पूछा था कि दोपहिया वाहनों और महिला ड्राइवर्स को ऑड-ईवन स्कीम में छूट क्यों दी गई। इसके अलावा NGT ने सरकार से यह भी सवाल किया था कि जिन 500 अतिरिक्त बसों को लाने की बात की जा रही है उसमें से कितनी डीजल बसें हैं। एनजीटी ने यह भी कहा कि शहर के सभी बड़े ट्रैफिक सिग्नल पर ट्रैफिक पुलिस को लगाया जाए और वे इस बात की जांच करें कि उन जगहों पर कितने डीजल वाहन ऐसे हैं जो 10 साल और कितने पेट्रोल वाहन ऐसे हैं जो 15 साल पुराने हैं। अधिकरण ने कहा कि यह एक 'पर्यावरणीय आपातकाल' है जो बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों को सबसे अधिक प्रभावित कर रहा है।