नयी दिल्ली: राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने मंगलवार को कहा कि गंगा की सहायक नदी हिंडन बहुत प्रदूषित नदी है और इसे साफ करने के लिए कोई सार्थक कदम नहीं उठाए गए। अधिकरण ने उत्तरप्रदेश के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि नदी के पुनर्जीवित करने के लिए समन्वय बनाना सुनिश्चित करें। हरित अधिकरण ने कहा कि एक विभाग से दूसरे विभाग पर ठीकरा फोड़ने के बजाए हिंडन के जल की गुणवत्ता ठीक करने के कदम उठाए जाने चाहिए।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए.के.गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘‘नदी व्यावहारिक रूप से मृत हो चुकी है और पर्यावरण तथा जनस्वास्थ्य के हित में इसे पुनर्जीवित करने की जरूरत है। शहरी विकास, सिंचाई, जल निगम और पर्यावरण सहित संबंधित विभागों द्वारा सार्थक प्रगति हासिल करना जरूरी है।’’
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अधिकरण ने कहा कि काली, कृष्णा और हिंडन में गिरने वाले सभी नालों के पानी का शोधन किया जाना चाहिए और उन्हें सीवेज शोधन संयंत्र से जोड़ने की योजना बनाई जानी चाहिए।
पीठ ने कहा, ‘‘मुख्य सचिव सुनिश्चित कर सकते हैं कि उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में बनी समिति की कार्ययोजना के मुताबिक सभी संबंधित विभागों के बीच समन्वय बने।’’ अधिकरण ने कहा कि अगर समय सीमा का पालन नहीं किया जाता है तो उल्लंघन करने वालों से पर्यावरण मुआवजा वसूला जाए। इसने उत्तरप्रदेश के मुख्य सचिव को दो फरवरी 2021 तक समेकित जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।