नई दिल्ली: सरकार की दलितों और जनजातियों के लिए वर्तमान आरक्षण नीति में बदलाव की कोई मंशा नहीं है। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को इस बात की घोषणा की। राजनाथ सिंह ने लोकसभा में अपने बयान में उन अटकलों को खारिज कर दिया जिसमें यह कहा जा रहा है कि सरकार आरक्षण प्रणाली को समाप्त करना चाहती है। उन्होंने कहा, "आरक्षण नीति को लेकर अफवाहें फैलाई जा रही हैं, यह गलत हैं।"
उन्होंने सदन में शोरगुल व विरोध के बीच कहा, "मैं सभी राजनीतिक दलों से देश में शांति और भाईचारा बनाए रखने में मदद की अपील करता हूं।" राजनाथ की यह टिप्पणी दलितों और जनजातियों पर अत्याचार को रोकने वाले कानून को कमजोर करने के विरोध में एक दिन पहले बड़े पैमाने पर विरोध के बाद आई है। इस प्रदर्शन में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई है। तो वहीं कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि सबसे अधिक दलित विधायक और सांसद भाजपा के हैं। देश के प्रतिष्ठित नेता को राष्ट्रपति भी भाजपा की मोदी सरकार ने ही बनाया है। वहीं इस मुद्दे पर दायर की गई रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं उन्होंने हमारा आदेश पढ़ा भी नहीं है। हमें उन निर्दोष लोगों की चिंता है जो जेलों में बंद हैं।
फिलहाल इस मामले में सुनवाई चल रही है। इस मु्द्दे पर अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अभी की परिस्थिति काफी मुश्किल है, ये एक तरह के इमरजेंसी हालात हैं। 10 लोग अभी तक मर चुके हैं, हज़ारों-करोड़ों रुपए की संपत्ति का नुकसान हो गया है। इसलिए केंद्र सरकार की ये अपील है कि इस मामले की सुनवाई जल्द से जल्द होनी चाहिए।