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केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, विदेशी चंदा प्राप्त करना कोई मौलिक अधिकार नहीं

हलफनामे में कहा गया है, कुछ विदेशी ताकतें कुत्सित इरादों के साथ भारत की आंतरिक राजनीतिक में हस्तक्षेप करती हैं और ऐसी ताकतों को इससे रोकने के लिए यह संशोधन बहुत ही जरूरी था।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : October 21, 2021 23:32 IST
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Image Source : PTI केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि बिना किसी विनियमन के ‘बेलगाम विदेशी चंदा’ प्राप्त करना मौलिक अधिकार नहीं है।

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने विदेशी चंदा (विनियमन) अधिनियम, 2010 में किए गए संशोधनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने की सुप्रीम कोर्ट से मांग करते हुए गुरुवार को कहा कि बिना किसी विनियमन के ‘बेलगाम विदेशी चंदा’ प्राप्त करना मौलिक अधिकार नहीं है। केंद्र ने शीर्ष अदालत में दायर एक हलफनामे में कहा है कि यह अधिनियम एक ऐसा संप्रभु और समग्र कानून है, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विदेशी धन भारत में सार्वजनिक जीवन के साथ-साथ राजनीतिक और सामाजिक धारा पर हावी न हो।

कुत्सित इरादों वाली ताकतों को रोकने के लिए संशोधन जरूरी था: केंद्र

हलफनामे में कहा गया है, ‘कुछ विदेशी ताकतें कुत्सित इरादों के साथ भारत की आंतरिक राजनीतिक में हस्तक्षेप करती हैं और ऐसी ताकतों को इससे रोकने के लिए यह संशोधन बहुत ही जरूरी था। ऐसे चंदे के लेन-देन पर प्रतिबंध का उद्देश्य ऐसे कुत्सित इरादों को रोकना और इसके खिलाफ कदम उठाना है।’ हलफनामे में कहा गया है कि अधिनियम का उद्देश्य कुछ व्यक्तियों या संघों या कंपनियों द्वारा लिए जाने वाले विदेशी चंदे या विदेशी आतिथ्य को विनियमित करना है और ऐसी किसी भी गतिविधियों को प्रतिबंधित करना या रोकना है, जो राष्ट्रीय हित के विरुद्ध हैं।

‘विदेशी चंदा प्राप्त करने का कोई मौलिक अधिकार निहित नहीं’
हलफनामे में आगे कहा गया है, ‘बिना किसी विनियमन के बेलगाम विदेशी चंदा प्राप्त करने का कोई मौलिक अधिकार निहित नहीं है। वास्तव में, ऐसा कोई मौलिक अधिकार मौजूद नहीं है जिसके तहत कोई भी कानूनी या इसके इतर अधिकार विदेशी चंदा प्राप्त करने के कथित अधिकार को शामिल करने के लिए कहा जा सकता है।’ शीर्ष अदालत 3 अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, जिनमें विदेशी चंदा विनियमन (संशोधन) अधिनियम, 2020 से संबंधित मुद्दे उठाए गए हैं। इनमें से 2 याचिकाओं में अधिनियम में किए गए संशोधनों को चुनौती दी गई है, जबकि एक ने संशोधित और कानून के अन्य प्रावधानों को सख्ती से लागू करने की मांग की है।

‘विनियमन के बिना विदेशी चंदा प्राप्त करने का कोई अधिकार नहीं’
जस्टिस ए. एम. खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ 28 अक्टूबर को मामले की सुनवाई करेगी। केंद्र ने कहा कि वह राष्ट्रीय विकास में गैर-लाभकारी और स्वैच्छिक संगठनों की भूमिका को पहचानता है और वास्तविक गैर-सरकारी संगठनों को विदेशी चंदा (विनियमन) अधिनियम, 2010 के तहत अनिवार्य किसी भी नियामक अनुपालन से दूर होने की जरूरत नहीं है। सरकार ने कहा है कि विनियमन के बिना विदेशी चंदा प्राप्त करने का कोई अधिकार नहीं है। इसने कहा कि एसोसिएशन बनाने के अधिकार और व्यापार एवं पेशे की स्वतंत्रता के अधिकार में बेलगाम और अनियमित विदेशी चंदा प्राप्त करने का अधिकार शामिल नहीं हो सकता। (भाषा)

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