मध्य प्रदेश में कांग्रेस के लिए सरकार बचाने को लेकर पैदा हुए संकट के बीच सोमवार को फ्लोर टेस्ट होने की संभावना जताई जा रही थी लेकिन मध्य प्रदेश विधानसभा में पहले दिन की कार्यवाही का कार्यक्रम रविवार को जारी किया गया जिसमें जिसमें फ्लोर टेस्ट का जिक्र नहीं है। जबकि राज्यपाल ने कल ही मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आदेश दिया था क्योंकि सरकार अल्पमत में है इसलिए फ्लोर टेस्ट कराया जाए। हालांकि जारी की गई प्रारंभिक कार्य सूची में कहीं जिक्र नहीं है कि विश्वास मत विभाजन होगा लेकिन अध्यक्ष चाहे तो सप्लीमेंट्री कार्य सूची जारी कर विश्वास मत विभाजन की घोषणा कर सकते है। मध्य प्रदेश विधानसभा में बजट सत्र के पहले दिन की कार्यवाही का जो कार्यक्रम कार्यक्रम जारी किया गया है उसमें केवल राज्यपाल के अभिभाषण और उस पर धन्यवाद ज्ञापन का जिक्र किया गया है।
मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखा है जिसमें जिक्र है कि मध्यप्रदेश विधानसभा में बटन दबाकर मतदान करने की व्यवस्था नहीं है, इस कारण इस प्रक्रिया से मतदान संभव नहीं है, अतः मध्यप्रदेश राज्य की धारा 10 वीं अनुसूची के तहत आदेशित किया जाता है कि विश्वास मत का मतदान प्रक्रिया हाथ उठाकर संचालित व्यवस्था से किया जाए या किसी भी अन्य तरीके से किया जाए।
राज्यपाल लालजी टंडन ने शनिवार रात मुख्यमंत्री कमलनाथ को एक पत्र लिखकर अभिभाषण के तुरंत बाद विश्वासमत पर मत विभाजन करने को कहा था। कांग्रेस की ओर से संसदीय कार्य मंत्री व मुख्य सचेतक डॉ. गोविंद सिंह ने विधायकों को व्हिप जारी कर सदन में उपस्थित रहकर कांग्रेस के पक्ष में मतदान करने को कहा है। दूसरी ओर भाजपा के सदन में मुख्य सचेतक डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने भाजपा विधायकों को व्हिप जारी किया है।
राज्य विधानसभा के 22 सदस्यों (विधायकों) ने इस्तीफा दे दिया है। इनमें से छह के इस्तीफे स्वीकार कर लिए गए हैं। कुल 230 सदस्यीय विधानसभा में दो स्थान रिक्त हैं। अब कांग्रेस के 108, भाजपा के 107, बसपा के दो, सपा का एक और निर्दलीय चार विधायक बचे हैं। यानी विधानसभा में सदस्यों की कुल संख्या 222 रह गई है। लिहाजा बहुमत के लिए 112 विधायकों की जरूरत होगी। इस तरह कांग्रेस के पास चार विधायक कम है। कांग्रेस के पास सपा, बसपा और निर्दलीयों को मिलाकर कुल सात अतिरिक्त विधायकों का समर्थन हासिल है। अगर यह स्थिति यथावत रहती है तो कांग्रेस के पास कुल 115 विधायकों का समर्थन होगा। लेकिन 16 विधायकों के इस्तीफे मंजूर होने पर कांग्रेस के विधायकों की संख्या 92 ही रह जाएगी।